कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस, धर्मांतरण विरोधी कानून के लिए अध्यादेश लाने पर मांगा जवाब

Khoji NCR
2022-07-23 09:44:01

बेंगलुरू, कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी कानून पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। राज्य की भाजपा सरकार द्वारा इस कानून के लिए लाए गए अध्यादेश के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को स्व

ीकार करते हुए नोटिस जारी किया है। शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया है कि वे कानून को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) के संबंध में आपत्ति दर्ज कराए। याचिका में किया गया ये दावा हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून (धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक 2021) ने असहिष्णुता को दर्शाया है। याचिका में अध्यादेश की संवैधानिक वैधता पर भी सवाल उठाया गया है। आल कर्नाटक यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड इवेंजेलिकल फेलोशिप आफ इंडिया द्वारा नई दिल्ली से दायर याचिका में कहा गया है कि विधेयक देश को एकजुट करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक के तहत बनाए गए कानून किसी व्यक्ति की पसंद के अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार और धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। अध्यादेश के प्रावधान भारतीय संविधान की धारा 21 का उल्लंघन करते हैं क्योंकि यह राज्य को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करने की स्वतंत्रता देता है। चार सप्ताह में आपत्तियां दर्ज करानी होगी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की अध्यक्षता वाली पीठ ने गृह विभाग के सचिव और कानून विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया। पीठ ने उनसे चार सप्ताह के भीतर आपत्तियां दर्ज करने को कहा है। कानून में ये है प्रावधान बता दें कि नए कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो लालच में या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराता है उसके खिलाफ उसके माता-पिता, भाई, बहन या कोई अन्य व्यक्ति जो उसका संबंधी है वो शिकायत दर्ज करा सकता है। इस अपराध को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बनाया गया है। इस कानून में जबरन धर्मांतरण के लिए 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल की कैद हो सकती है। कानून का हुआ विरोध राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा एक अध्यादेश जारी करके धर्मांतरण विरोधी कानून को लागू करने के बाद, प्रदेश कांग्रेस ने इसके खिलाफ एक जन आंदोलन शुरू किया है। कांग्रेस ने कहा कि वह धर्म की स्वतंत्रता के अधिकारों के कर्नाटक संरक्षण के दुरुपयोग की अनुमति कभी नहीं देगी।

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