कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्य का दिन है, जब गलत समाचार चलाने वाले एक पत्रकार को बचाने के लिए एक तंत्र सामने आ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस तरह भाज
ा उन लोगों का बचाव कर रही है जो उसके एजेंडे को आगे बढ़ाने में उसका साथ देते हैं... कुछ दिन पहले ही भाजपा नेता तजिंदर बग्गा को गिरफ्तार करने के मामले पर दिल्ली और पंजाब पुलिस में टकराव देखने को मिला था। अब इसी तरह का एक और मामला सामने आया है जिसमें छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की पुलिस आमने-सामने आ गई है। छत्तीसगढ़ पुलिस राहुल गांधी का एक फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में एक पत्रकार को गिरफ्तार करने के लिए गाजियाबाद पहुंची, तो उसे यूपी पुलिस का विरोध झेलना पड़ गया। यूपी पुलिस ने अपने एक मामले में पत्रकार को गिरफ्तार करने के आधार पर पत्रकार को छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंपने से इनकार कर दिया है। इसी बीच कांग्रेस ने पूछा है कि फेक न्यूज चलाने वाले पत्रकारों को भाजपा क्यों बचाना चाहती है। उसे बताना चाहिए कि समाज में गलत संदेश प्रसारित कर समाज को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से उसका क्या रिश्ता है। क्या है मामला दरअसल, उदयपुर हिंसा के बाद नोएडा स्थित एक न्यूज चैनल ने राहुल गांधी का एक वीडियो प्रसारित किया। इस वीडियो में राहुल गांधी एक घटना को बच्चों की गलती बताते हुए उन्हें माफ करने की बात कहते हुए दिखाई पड़ रहे थे। न्यूज चैनल से इस खबर के प्रसारण के बाद इस तरह का संदेश जा रहा था कि जैसे राहुल गांधी उदयपुर हत्याकांड के अपराधियों को माफ करने की बात कह रहे हों। लेकिन असलियत में राहुल गांधी का वह बयान केरल के वायनाड की एक घटना से संबंधित था, जिसमें कुछ लोगों ने कांग्रेस दफ्तर को नुकसान पहुंचाया था। राहुल गांधी अपने बयान में कांग्रेस दफ्तर को नुकसान पहुंचाने वाले युवकों को माफ करने की बात कह रहे थे। लेकिन उनके बयान को जिस तरह पेश किया गया, उससे यह संदेश जा रहा था कि जैसे राहुल गांधी ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को माफ कर देने की बात कही हो। इससे जनता के बीच कांग्रेस को लेकर एक नकारात्मक छवि बन सकती थी। पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। लेकिन संभवतया कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति का करारा जवाब देने का मन बना लिया है। इस बार गलती होने पर कांग्रेस चुप नहीं बैठी और उसने छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस न्यूज चैनल के एंकर पत्रकार पर केस दर्ज करा दिया। कांग्रेस ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेस कर इसकी जानकारी भी दी थी। मंगलवार को क्या हुआ जब इस मामले में वारंट लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस पत्रकार के गाजियाबाद स्थित घर पर पहुंची, तो उन्होंने इस पर कानूनी सवाल उठा दिया। पत्रकार ने ट्वीट करते हुए पूछा कि बिना स्थानीय पुलिस को सूचित किए कैसे कोई दूसरे राज्य की पुलिस उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। हालांकि, पत्रकार के ट्वीट के बाद गाजियाबाद पुलिस ने ट्वीट कर जवाब दिया कि मामला उनके संज्ञान में है और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच नोएडा पुलिस ने दखल दी। कथित तौर पर नोएडा पुलिस ने पत्रकार पर एक मामला दर्ज होने और पत्रकार को अपने मामले में पेश होने के लिए अपने अधिकार में होने की बात कही है। माना जा रहा है कि कानूनी दांवपेंच का इस्तेमाल कर पत्रकार को बचाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस ने दागा सवाल पत्रकार को बचाने के लिए यूपी पुलिस की इस दखल के बाद कांग्रेस भड़क उठी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्य का दिन है, जब गलत समाचार चलाने वाले एक पत्रकार को बचाने के लिए एक तंत्र सामने आ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस तरह भाजपा उन लोगों का बचाव कर रही है जो उसके एजेंडे को आगे बढ़ाने में उसका साथ देते हैं। कांग्रेस का पक्ष है कि उक्त गलत खबर से पहले से ही तनावग्रस्त चल रहे उदयपुर में तनाव बढ़ सकता था। दूसरे क्षेत्रों में भी सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती थी, लिहाजा नफरती फर्जी खबर चलाने वाले ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। भाजपा की परेशानी क्या है दरअसल, जब उक्त चैनल और एंकर ने राहुल गांधी का वह वीडियो प्रसारित किया, तब राज्यवर्धन सिंह राठौर सहित कुल छह भाजपा नेताओं ने उस ट्वीट को रीट्वीट कर दिया। कांग्रेस ने इन नेताओं पर भी उसी मामले में केस दर्ज कराया है। यानी यदि इस मामले में पत्रकार पर कोई कठोर कार्रवाई होती है, तो भाजपा नेताओं के मामले में वह स्वतः लागू हो जाएगा। संभवतः यही कारण है कि भाजपा इस मामले को किसी भी कीमत पर यहीं निपटाने की कोशिश कर रही है। यूपी पुलिस की कार्रवाई को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। राठौर ने दी थी सफाई हालांकि, यह पूरा विवाद गरमाता देख चैनल और पत्रकार दोनों ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। पत्रकार ने अपने इस कृत्य के लिए दो बार माफी भी मांगी है। वहीं, भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भी ट्वीट को डिलीट कर दिया है। सामान्य तौर पर ट्वीट को डिलीट करने को भी अपनी गलती स्वीकार करना माना जाता है। हालांकि, राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ट्वीट कर कहा था कि माफी उन्हें नहीं, बल्कि कांग्रेस को मांगनी चाहिए जो भाजपा और आरएसएस पर बार-बार गलतबयानी करते रहते हैं। उन्होंने कांग्रेस को कठोर कार्रवाई के लिए तैयार रहने की बात भी कही है। इस बीच दोनों दलों में राजनीति गर्म हो गई है।
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