एनसीपी प्रमुख शरद पवार को महा विकास आघाड़ी सरकार का जाना अखर रहा है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता और अहम सूत्र की मानें तो अस्पताल से लौटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को शरद पवार ने सरकार क
े खिलाफ चल रहे षडयंत्र के प्रति आगाह किया था। बताते हैं कि मार्च-अप्रैल 2022 में भी उद्धव ठाकरे को जानकारी दी गई थी, लेकिन शिवसेना के विधायकों को लेकर उनके आत्मविश्वास ने ही नाव डुबा दी। पार्टी के नेता का कहना है कि जब उद्धव अस्पताल में थे, तभी से शिवसेना तोड़ने वाले सक्रिय थे। पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उद्धव ठाकरे के बेटे और विधायक आदित्य ठाकरे का व्यवहार इसके लिए अधिक जिम्मेदार है। बताते हैं कि शिवसेना के विधायकों पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को डोरे डालने का अवसर देने में आदित्य ठाकरे की टीम लगातार गलतियां करती रही। एनसीपी के यह नेता कभी शिवसैनिक थे। वह कहते हैं कि उद्धव ठाकरे को लेकर मुझे नहीं लगता कि लोगों में कोई ज्यादा शिकायत थी। नवंबर 2021 से तेज हो गया था षडयंत्र सूत्र का कहना है कि 2021 में उद्धव ठाकरे रीढ़ और गर्दन में दर्द से पीडि़त थे। चिकित्सकों की सलाह पर सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती हुए। 12 नवंबर को उनकी पहली सर्जरी हुई और इसके बाद दूसरी बार सर्जरी में जाना पड़ा। इससे स्वस्थ होकर दैनिक काम में लौटने में भी समय लगा। लेकिन इस दौरान सरकार को गिराने का षडयंत्र काफी तेज हो जाने का अनुमान है। वरिष्ठ नेता का कहना है कि कुछ घटनाओं की अनदेखी आप नहीं कर सकते। देश के एक प्रमुख उद्योगपति के घर के बाहर खड़ी संदिग्ध कार का प्रकरण आपको याद होगा। राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख भी इस प्रकरण के बाद गिरफ्तार हुए और जेल में हैं। इससे पहले फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के प्रकरण को भी कैसे उद्धव ठाकरे सरकार से जोड़ दिया गया था। इसके बाद फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र की ड्रग्स केस में गिरफ्तारी और फिर क्लीन चिट देने तक की घटना को भी मत भूलिए। उसी समय एनसीपी के कोटे से मंत्री नवाब मलिक पर हमले बढ़े थे। बाद में गिरफ्तार किए गए। जेल में हैं। सूत्र का कहना था कि इस बहाने राजनीतिक हमला हो रहा था। लेकिन भाजपा की ऑपरेशन लोटस की टीम पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इशारे पर शिवसेना को तोड़ने में लगी थी। बताते हैं कि एनसीपी में 2019 में अजीत पवार को तोड़ने की असफल कोशिश हुई थी। इसके बाद से ऑपरेशन लोटस के रणनीतिकारों ने मान लिया था कि शरद पवार के रहते ऐसा संभव नहीं है। वह कहते हैं कि इसी तरह से कांग्रेस भी अपने विधायकों को लेकर संवेदनशील थी। जबकि शिवसेना आत्मविश्वास में चल रही थी और शिवसेना के नेता तथा वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अपनी महत्वाकांक्षा पल रही थी। मई 2022 में उद्धव ठाकरे ने की थी कोशिश सूत्र का दावा है कि तमाम इनपुट के आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी टीम और पार्टी के नेताओं को टटोलने की कोशिश की थी। बताते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी है कि शिवसेना प्रमुख ने अपने तरीके से शिवसेना विधायकों में टूट की किसी आशंका को परखा था। हालांकि उद्धव को उनके नेताओं ने जो भी सफाई दी हो, उससे वह संतुष्ट हो गए थे। वरिष्ठ नेता का कहना है कि शिवसेना में इतनी अधिक संख्या में विधायकों की टूट को महाराष्ट्र में भी कम ही लोग सोच सकते हैं, क्योंकि शिवसेना और इसके कार्यकर्ता तथा पार्टी के कामकाज का तरीका थोड़ा हटकर है।
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