इंटरनेट का अधिक बिल और मोबाइलों में नेटवर्क ना आने से ऑनलाइन पढ़ाई में आ रही बाधा सोहना,(उमेश गुप्ता): नववर्ष के पहले महीने जनवरी के पहले सप्ताह से सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के टैस्ट हो
े है। जिसके तहत विद्यार्थी ऑनलाइन परीक्षा में शामिल होंगे लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि 40 फीसदी से ज्यादा विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन ही नही है। ऐसे में इन विद्यार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा से जोडऩा किसी चुनौती से कम नही है। ऐसे विद्यार्थी अब तक एजुसेट के माध्यम से पढ़ाई कर रहे थे तो काफी ऐसे मामले भी देखने को मिल रही है, जिसमें एक ही परिवार के 3-3 बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे है और उनके पास एक ही स्मार्टफोन है। ऐसे में बच्चे अलग-अलग समय पर अपनी ऑनलाइन पढ़ाई करते है। जब एक बच्चा पढ़ाई कर रहा होता है तो दूसरे की कक्षा छूट जाती है और जब तक तीसरे बच्चे का नंबर आता है, तब तक इंटरनेट का पैक खत्म हो जाता है। जिससे विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लास लेने में परेशानियां सामने आ रही है। लॉकडाउन से पहले वर्षों में दिसंबर तक ही विद्यार्थियों से अर्धवार्षिक परीक्षा को मिलाकर कुल 5 परीक्षाएं ली जाती है लेकिन इस बार कोरोनाकाल के चलते अभी तक किसी भी तरह की परीक्षा का आयोजन नही किया गया। ऐसे में शिक्षा विभाग ने एप के माध्यम से परीक्षा लेने की तैयारियां की है। माना जा रहा है कि पहले से 8वीं कक्षा तक के बच्चों को इन्ही मासिक मूल्यांकन परीक्षा के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट किया जा सकता है। यहां पर शहरी क्षेत्र के साथ-साथ आसपास लगते गांवों में बीते कई दिनों से मोबाइलों में सही नेटवर्क ना आने और इंटरनेट का अधिक बिल गरीब वर्ग के विद्यार्थियों पर भारी पड़ रहा है। इंटरनेट के अधिक खर्चे और मोबाइलों में नेटवर्क ना आने से ऑनलाइन कक्षा ले रहे विद्यार्थी कक्षा छोडऩे पर मजबूर हो रहे है। हालांकि शिक्षकों व अधिकारियों के माध्यम से कुछ विद्यार्थियों के फोन रिचार्ज करवा दिए जाते है लेकिन बड़ी तादाद में अभिभावक ऐसे है, जो फोन व इंटरनेट का खर्च नही उठा पा रहे है। जिससे ना केवल अभिभावक परेशान है तो सबसे ज्यादा परेशानी छात्र-छात्राओं को उठानी पड़ रही है क्योकि कक्षा पहली से 8वीं तक के लिए स्कूल बंद पड़े है। मोबाइलों में नेटवर्क ना आने से ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा आ रही है और छात्र-छात्राएं चाहकर भी ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से पढ़ाई नही कर पा रहे है। कोरोनाकाल में कक्षा पहली से 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाप्रधान दुष्यंत ठाकरान की माने तो कक्षा पहली से 8वीं तक के विद्यार्थियों को ऑनलाइन जोडऩा किसी चुनौती से कम नही है। अभिभावकों के पास भी बच्चों के लिए इतना समय नही है कि वह स्कूल से ऑनलाइन दिए जा रहे होमवर्क को बच्चों से करवाए। बढ़ते इंटरनेट के खर्चे का कारण भी एक बड़ी बाधा बन रहा है। विशेष बात ये है कि स्पेशल श्रेणी वाले बच्चों को ऑनलाइन कक्षा के साथ जोडऩा काफी मुश्किल हो रहा है। कई बच्चों के अभिभावक फोन रिचार्ज नही करा पा रहे है क्योकि 600 से 1000 रुपए महीने का हर महीने इंटरनेट खर्चा आ रहा है। जिसे उठाने में काफी अभिभावक सक्षम नही है। यहां पर शहरी क्षेत्र के साथ-साथ आसपास लगते गांव रायसीना, दौहला, जक्खोपुर, लोहटकी, बहल्पा, सिरसका, सांपकीनंगली, सोहनाढाणी, धुनेला, गढ़ीमुरली, भोगपुरमंडी, सिलानी, जोहलाका, बिल्हाका, टैढड़़बादशाहपुर समेत विभिन्न गांवों में रहने वाले मोबाइल उपभोक्ताओं ने बताया कि उनके मोबाइलों में बीते कई दिनों से सही नेटवर्क नही आ रहे है। जिससे वह समय पर ना तो वह अपने मोबाइलों पर मिलने वाला नेट डाटा प्रयोग कर पा रहे है और ना ही सही से बात हो पा रही है। मोबाइलों पर चल रही ऑनलाइन कक्षाएं भी प्रभावित हो रही है क्योकि नेटवर्क ना आने से छात्र-छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई नही कर पा रहे है। कई दिनों से मोबाइलों में नेटवर्क ना आने से ऑनलाइन कक्षाएं व पढ़ाई उनके जी का जंजाल बन गई है। ऐसे में ना केवल अभिभावक परेशान हो गए है बल्कि शिक्षक भी परेशान है कि वह क्या करे, क्या ना करे। समझ में नही आ रहा है। शहरी क्षेत्र में रहने वाले विद्यार्थी मोबाइल नेटवर्क के लिए घरों से बाहर गली-मोहल्लों में आ रहे है। तब भी नेटवर्क काम नही कर रहा है तो गांव-देहात में रहने वाले विद्यार्थी ऑनलाइन कक्षा व पढ़ाई के लिए बर्फीली हवाओं और कडक़ड़ाती ठंड के बावजूद घरों से खेत-खलिहानों में पहुंच रहे है तो कभी घरों की छतों पर चढ़ रहे है लेकिन नेट फिर भी काम ना करने से वह परेशान हो रहे है।
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