नई दिल्ली । किसानों के घरों में कई वर्षो के बाद खुशहाली आई है। इस खुशी का कारण नरेला अनाज मंडी के आढ़तियों की ओर से अप्रैल में गेहूं की बंपर खरीदारी करना है। न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) से ज्य
दा कीमत पर फसल बिकने से किसानों को काफी फायदा हुआ है। एमएसपी से चार सौ से लेकर पांच सौ रुपये ज्यादा कीमत पर बिक रहे गेहूं ने किसानों के घरों में खुशियां लौटा दी हैं।अब तपा देने वाली गर्मी उनके लिए दीवाली से कम नहीं है।हालांकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) की ओर से इस बार गेहूं की कोई खरीदारी नहीं की गई है। इसका कारण है एमएसपी से ज्यादा कीमत पर आढ़तियों द्वारा गेहूं की खरीद करना। एमएसपी से ज्यादा कीमत पर आढ़तियों द्वारा खरीद करने के बाद कोई भी किसान एफसीआइ के पास गेहूं बेचने नहीं पहुंच रहा है। नरेला मंडी में बनाए गए काउंटर पर एफसीआइ व अन्य विभाग के कर्मचारी और अधिकारी पूरा दिन खाली बैठकर वापस लौट रहे हैं। अप्रैल में आढ़तियों की ओर से दो लाख 88 हजार 413 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है। यह गेहूं एमएसपी से एक रुपये ज्यादा से लेकर 500 रुपये ज्यादा तक खरीदे गए हैं। गर्मी से सिकुड़ गया था दाना : होली के बाद अचानक से पड़ी भीषण गर्मी की वजह से इस बार गेहूं का विकास अच्छे से नहीं हो पाया था। दाने सिकुड़ गए थे। संभावना जताई जा रही है कि ऐसे में अगर किसान एफसीआइ के पास गेहूं लेकर जाते तो ज्यादातर किसानों के गेहूं के सैंपल को रद कर दिया जाता, लेकिन पहले दिन से ही किसान आढ़तियों के पास पहुंचने लगे थे। कई किसानों ने बताया कि उनको इसकी उम्मीद भी नहीं थी कि उनके गेहूं एमएसपी से ज्यादा कीमत पर खरीदे जाएंगे। बारिश व लाकडाउन से थे परेशान: किसान दो वर्ष तो लाकडाउन की वजह से परेशान थे। कृषि सुधार विरोधी प्रदर्शनकारियों की वजह से भी किसानों को काफी नुकसान हुआ था। इसके अलावा बेमौसम बारिश ने भी किसानों को काफी नुकसान किया था। इससे पहले काफी कम किसानों के गेहूं की खरीद एमएसपी से कम रेट पर की जाती थी। ऐसे में किसान आर्थिक रूप से टूट चुके थे। 2015 रुपये है एमएसपी: इस बार गेहूं की फसल का एमएसपी सरकार की ओर से 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। बीते वर्ष यह 1975 रुपये था। आढ़ती एमएसपी से साढ़े पांच सौ रुपये ज्यादा पर खरीद कर रहे हैं। 11 अप्रैल को गेहूं 2100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था। इसके बाद लगातार कीमत बढ़ती ही जा रही है। 28 अप्रैल को गेहूं 2564 रुपये प्रति क्विंटल तो 29 अप्रैल को 2401 रुपये के हिसाब से खरीदा गया था।
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