जानिए आखिर कितने खतरनाक होते हैं डायरेक्‍ट एनर्जी वेपंस, किन-किन देशों के पास है ये घातक हथियार

Khoji NCR
2022-03-19 08:56:24

नई दिल्‍ली । दुनिया के कई देशों के पास बेहद खतरनाक हथियार मौजूद हैं। इनमें लंबी दूरी की परमाणु और गैर परमाणु मिसाइल शामिल हैं। इसके अलावा जिन वेपंस को अत्‍या‍धुनिक तकनीक का एक बड़ा उदाहरण मा

ा जाता है उनमें शामिल हैं डायरेक्‍ट एनर्जी वेपंस (directed-energy weapon/DEW) । ये इतने खतरनाक होते हैं कि पल भर में दुश्‍मन को बड़ा नुकसान पहुंचाने की काबलियत रखते हैं। ऐसे हथियार अमेरिका और रूस समेत कुछ देशों के पास ही अब तक मौजूद हैं। ये ऐसे हथियार हैं जिनका इस्‍तेमाल अमेरिका में भीड़ को बिना नुकसान पहुंचाए तितर-बितर करने से लेकर दूसरे कामों में किया जा चुका है। भीड़ पर इस्‍तेमाल किए जाने वाले डायरेक्‍ट एनर्जी वेपंस से निकली हाई एनर्जी सामने वाले को कुछ समय के लिए तेज दर्द पहुंचाती है। ये दिखाई नहीं देती है। कैसे करते हैं काम ये वेपंस ये एक हाइली फोकस एनर्जी होती है जिसका असर बेहद घातक होता है। ये लेजर, माइक्रोवेव, पार्टिकल बीम या साउंड बीम तक हो सकती है। इस तरह के वेपंस की बात यदि बड़े कंटेस्‍ट में की जाए तो ये मिसाइल समेत दूसरी चीजों को तबााह कर सकती है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन का डिफेंस एडवांस्‍ड रिसर्च प्रोजेक्‍ट्स एजेंसी या डारपा (Defense Advanced Research Projects Agency) इस तरह के वेपंस पर ही काम करती है ये बेलेस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक मिसाइल और हाइपरसोनिक क्रुज मिसाइल को भी तबाह कर सकती है। अमेरिका में एक इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक लैब रेल गन का टेस्‍ट 2012 में किया गया था। इन पर नजर भारत, पाकिस्‍तान भी इस तरह की तकनीक पर काम कर रहे हैं। कहा जाता है कि ईरान के पास इस तरह के हथियार हैं और ये सर्विस में हैं। वहीं तुर्की को लेकर भी यही दावा किया जाता है। कहा यहां तक जाता है कि तुर्की ने इस तरह के हथियार का इस्‍तेमाल लीबिया में अगस्‍त 2019 में किया था। इसका नाम अल्‍का था। इसके अलावा कई देश इस तरह के हथियारों की टेस्टिंग में लगे हैं। चीन ने बनाया सेटेलाइट नष्‍ट करने वाला डिवाइस ताइवान की मीडिया में आई खबर के मुताबिक चीन ने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो इसी तकनीक पर आधारित है और सेटेलाइट को नष्‍ट करने या फिर उनको निष्‍क्रय करने की काबलियत रखता है। बता दें कि ये एक भविष्‍य की बेहद घातक तकनीक है। इसमें दुश्‍मन के सामने आने की भी जरूरत नहीं होती है। आपको बता दें कि इस तरह के वेपंस से निकलने वाली माइक्रोवेव की रेंज आमतौर पर 300 हार्ट्ज से लेकर 300 गीगा हार्ट्ज के बीच की होती है। ये एक मीटर से लेकर एक मिलीमीटर के बीच हो सकती है। ऐसे कुछ डिवाइस एक्टिव डिनायल सिस्‍टम (Active Denial System): इसको इंसानों पर टार्गेट करने के लिए बनाया गया है। इससे इंसान को दर्द होता है। इसको अमेरिकी एयरफोर्स ने बनाया है। विजिलेंट ईगल (Vigilant Eagle): ये आमतौर पर हवाई अड्डों समेत दूसरे संवेदनशील स्‍थानों पर लगाया जाता है। इसका मकसद किसी भी तरह के अनजान हवाई हमले से रक्षा है। ये अपनी तरफ आने वाली किसी भी चीज को डिटेक्‍ट कर अपने कंट्रोल सिस्‍टम को कमांड भेजता है और सर्फेस टू एयर गाइडेंस सिस्‍टम के तहत माइक्रोवेव लान्‍च की जाती है।

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