बाल-बाल बची दो ट्रेनें! 'कवच' ने रोक दी आमने-सामने की टक्कर

Khoji NCR
2022-03-04 10:38:18

नई दिल्ली, भारतीय रेलवे के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। रेलवे ने कवच तकनीक (Kavach Technique) का सफल परीक्षण किया। दो ट्रेनों को आमने-सामने चलाया गया, जिसमें एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद थे

, तो दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परीक्षण के कई वीडियोज ट्विटर अकाउंट पर शेयर किए हैं। बता दें कि जिस ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे, वह ट्रेन सामने से आ रही ट्रेन से 380 मीटर पहले ही रुक गई। कवच तकनीक की वजह से ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग गए। रेल मंत्री द्वारा एक मिनट का वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें लोकोपायलट वाले केबिन में रेल मंत्री समेत अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया कि रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है। कवच ने अन्य लोको से 380 मीटर पहले लोको को स्वचालित रूप से रोक दिया। सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली रेलवे के अधिकारियों ने मुताबिक रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। 'कवच' को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी। रेड सिग्नल को नजरअंदाज करने पर स्वत: रुक जाएगी ट्रेन वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवीय त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपये है। ड्राइवर से चूक होने पर कवच अलर्ट करेगा कवच तकनीक ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट के सभी क्रियाकलापों जैसे ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। ड्राइवर से इसी प्रकार की चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। प्रतिक्रिया नहीं होने पर चलती ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे। इसके अलावा ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। कवच में आरएफआईडी डिवाइस ट्रेन के इंजन के भीतर, सिग्नल सिस्टम, रेलवे स्टेशन पर लगाए जाएंगे। कवच प्रणाली जीपीएस, रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि तकनीक से चलाई जाएगी। जानें- सबसे पहले कहां लगेगा सिस्टम ‘कवच’ प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है। जानिए क्या है कवच ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली में दो ट्रेन अगर विपरीत दिशा से एक-दूसरे की तरफ आ रही हैं, फिर चाहे उनकी गति कितनी भी हो लेकिन 'कवच' के कारण ये दोनों ट्रेन टकराएंगी नहीं। यह तकनीक ओवर स्पीडिंग को रोकने के लिए स्वत: ब्रेक लगाने के लिए है। वहीं, जब फाटकों के पास ट्रेन पहुंचेगी तो अपने आप सीटी बज जाएगी। कवच तकनीक लगे दो इंजनों में यह तकनीक टक्कर नहीं होने देगी। साथ ही, आपात स्थितियों के दौरान एसओएस मैसेज भेजेगी। नेटवर्क मॉनिटर प्रणाली के माध्यम से गाड़ी संचलन करना भी इसमें शामिल है।

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