हैदराबाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को यहां 11वीं सदी के संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने शमशाबाद स्थित 'यज्
शाला' में विधिवत पूजा-पाठ की। बता दें कि संत श्री रामानुजाचार्य की बैठी हुई मुद्रा में यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इस मामले में थाइलैंड स्थित बुद्ध की प्रतिमा सबसे ऊंची है। बुद्ध की प्रतिमा की ऊंचाई 302 फीट है। संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद में 45 एकड़ के भव्य मंदिर परिसर में स्थापित की गई है। मिश्र धातु से हुआ है प्रतिमा का निर्माण मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा का निर्माण मिश्र धातु पंचलोहा से किया गया है। इसमें पांच धातुओं सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का इस्तेमाल किया गया है। रामानुजाचार्य की एक प्रतिमा मंदिर के अंदर भी स्थापित की गई है जिसको 120 किलो सोने से तैयार किया गया है। 64 फीट ऊंचे आधार पर स्थापित है प्रतिमा प्रतिमा 64 फीट ऊंचे आधार पर स्थापित है जिसको भद्र वेदी नाम दिया गया है। इस भद्र वेदी में डिजिटल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाया गया है जहां प्राचीन भारतीय ग्रंथों एवं संत श्री रामानुजाचार्य के कार्यों की जानकारी देती गैलरी की स्थापना की गई है। राष्ट्रपति करेंगे मंदिर की आंतरिक कक्षा का अनावरण राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द 13 फरवरी को आंतरिक कक्षा का अनावरण करेंगे। इस पूरी परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। परियोजना का खर्च भक्तों से मिले दान से ही पूरा किया गया। रामानुजाचार्य ने उठाई थी समानता के लिए आवाज वैष्णव संत श्री रामानुजाचार्य का जन्म तमिलनाडु के पेरंबदूर में वर्ष 1017 में हुआ था। उन्होंने समाज के हर वर्ग को समान मानने का दर्शन दिया था। संत श्री रामानुजाचार्य राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ के आधार पर भेद के विरोधी थे। उन्होंने सभी प्रकार के भेदभाव को अस्वीकार करते हुए मंदिरों के द्वार सभी के लिए खोलने की पहल की थी। संत श्री रामानुजाचार्य दुनियाभर के समाज सुधारकों के लिए समानता के प्रतीक माने जाते हैं।
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