नारनौल। एक बार नारनौल स्थित सहायक कृषि अभियन्ता के कार्यालय के कर्मचारी उनके घर आए और गोबर गैसं प्लांट से किसान को होने वाले फायदों को विस्तार से बताकर उन्होनें यह प्लांट स्थापित करने के लिए
उन्हें प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरों के सहयोग से गोबर गैस प्लांट स्थापित किया। महेंद्र ने बताया कि उनके पास 10 एकड़ जमीन है और 3 पशु रखते हैं। सहायक कृषि अभियन्ता इंजीनियर डीएस यादव ने आज कनिष्ठ अभियन्ता रामसिंह बरवाला के साथ महेंद्र द्वारा गोबर गैस प्लांट स्थापित करने के बाद उनकी लाइफ स्टाइल में आए बदलाव का जायजा लिया। फ्री में मिलती है कुकिंग गैस महेन्द्र ने बताया कि उनके घर साल में 9-10 सिलेंडर की सालाना खपत थी। इससे साल का करीब दस हजार का खर्च और गैस सिलेंडर लाने का अलग झंझट रहता था। उन्होंंने बताया कि अब मेरा रसोई का सारा काम गोबर गैस प्लांट से मिलने वाली गैस से हो जाता है। खास बात यह है कि इसमें विस्फोट होने का भी कोई खतरा नहीं है। पशुओं का चाट भी गोबर से बनी गैस से पकाया जाता है। प्रतिदिन वे 20 से 30 किलो गोबर इस प्लांट में डालते हैं।
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