इजरायल में फिर सियासी संकट, बेंजामिन नेतन्‍याहू की गिरी सरकार, होंगे दोबारा चुनाव

Khoji NCR
2020-12-23 09:22:55

येरूशलम । इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू की सरकार एक बार फिर गिर गई है। इसके बाद देश के सामने एक बार फिर से रियासी संकट खड़ा हो गया है। नई सरकार को चुनने के लिए फिर चुनावों की घोषण

भी कर दी गई है। इसके लिए 23 मार्च 2021 की तारीख तय की गई है। दो वर्षों में ये चौथा मौका है जब देश में चुनाव कराए जा रहे हैं। आपको बता दें कि नेतन्‍याहू की सरकार इस बार ब्‍लू एंड व्‍हाइट पार्टी के गठबंधन से चल रही थी। इस पार्टी के प्रमुख बेनी गांत्‍ज सरकार में रक्षा मंत्री की भूमिका में थे। शुरुआत से ही इस सरकार में दिक्‍कतों का दौर चल रहा था। इस सरकार का गठन इस वर्ष अप्रैल में उस वक्‍त हुआ था जब देश में हुए चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को पूर्ण बहूमत हासिल नहीं हो सका था। दोनों ही पार्टियों के बीच चली खींचतान की वजह से सरकार इस बार का अपना बजट पास कराने में नाकाम रही थी। इसको लेकर दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे, जिसकी वजह से ये सरकार गिर गई। बुधवार को इजरायल की संसद को भंग कर दिया गया और आगामी चुनावों की घोषणा भी कर दी गई। दोनों ही पार्टियों के बीच नाराजगी और सरकार गिरने की बड़ी वजह एक ये भी रही है कि गांत्‍ज जहां 2020 और 2021 के प्रस्‍तावित बजट को एक साथ मंजूरी देने की मांग कर रहे थे, वहीं नेतन्‍याहू ने उनकी मांग को नजरअंदाज करते हुए केवल मौजूदा वर्ष के बजट को ही मंजूरी देने की बात कही थी। इसके बाद इन दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई और सरकार गिरने की वजह बनी। हालांकि सरकार के गिरने के बाद और संसद के भंग किए जाने की घोषणा के बाद नेतन्‍याहू समर्थक इसका ठीकरा गांत्‍जे पर ही फोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि ये सब कुछ उन्‍होने एक साजिश के तहत किया है। इन समर्थकों का ये भी आरोप है कि दरअसल, गांत्‍जे खुद देश की सत्‍ता पर काबिज होना चाहते हैं। गौरतलब है कि इस सरकार के गठन से पहले भी गांत्‍जे सत्‍ता के शीर्ष पर काबिज होने की कवायद कर रहे थे। माना जा रहा है कि अगले वर्ष होने वाले चुनाव के बाद इसमें उन्‍हें सफलता मिल सकती है। उन्‍होंने नेतन्‍याहू पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया है और कहा है कि इस सियासी संकट का समाधान केवल चुनाव करवाकर ही हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि नेतन्‍याहू ने गठबंधन के धर्म को नहीं निभाया है, जिसकी वजह से चीजें खराब होती चली गईं। ऐसे में उनके पास में कोई दूसरा विकल्‍प नहीं बचा था। उन्‍होंने ये भी कहा कि गठबंधन को बचाने की जिम्‍मेदारी यदि किसी की बनती है तो वो केवल नेतन्‍याहू ही हैं। उनको ही तय करना होगा कि उन्‍हें क्‍या करना है। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक अगले साल फरवरी में नेतन्‍याहू को भ्रष्‍टाचार के मामलों में पेश होना है। ऐसे में उनके लिए मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं। इसका फायदा उनके विरोधी खेमे को हो सकता है। जानकारों की राय में यदि ये चुनााव दो या तीन माह और आगे बढ़ सकते हैं तो इसका फायदा नेतन्‍याहू को मिल सकता है। इसके पीछे इन जानकारों का तर्क है कि जब तक देश में कोरोना की वैक्‍सीन आ चुकी होगी और देश की अर्थव्‍यवस्‍था भी पटरी पर आने लगेगी। इस उपलब्धि को नेतन्‍याहू अपने हक में भुना सकते हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि नेतन्‍याहू के कार्यकाल में इजरायल और भारत के संबंध काफी मजबूत हुए हैं। जनवरी 2018 में बेंजामिन नेतन्‍याहू भारत की यात्रा पर भी आए थे। उस वक्‍त पीएम मोदी ने उन्‍हें अपना खास दोस्‍त बताया था। इससे पहले जब पीएम मोदी ने इजरायल की यात्रा की थी तब नेतन्‍याहू ने खुद उनका एयरपोर्ट पर स्‍वागत किया था और उन्‍हें हिंदी में कहा था स्‍वागत है मेरे दोस्‍त।

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