जैव विविधता बोर्ड ने संरक्षण की दिशा में काम शुरू किया। चरखी दादरी जयवीर फोगाट, 11 जनवरी, दादरी जिला जैव विविधता से परिपूर्ण है और यहां अभी भी बहुत सी प्राकृृतिक संपदा प्रकृति की गोद में बिखरी
हुई है, जिसे जरूरत है सहेज कर रखने की। इसी दिशा में जैव विविधता बोर्ड ने ग्रामीणों के बीच जाने तथा गांव की अनमोल संपत्ति की पहचान करने का प्रयास शुरू किया है। प्रकृति की रक्षा के लिए हर गांव को जागरूक होना होगा। अरावली की तलहटी में बसे गांव अटेला कलां की पहाड़ी में आज भी अनेक जीव-जंतु और औषधीय पौधे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जैव विविधता बोर्ड की जिला समन्वयक बबीता श्योराण ने बताया कि इस गांव के कलूराम नामक व्यक्ति ने खुद अपने प्रयासों से पहाड़ी के ऊपर एक तालाब का निर्माण करवाया था। यहां काफी जानवर अपनी प्यास बुझाने आते हैं। इस तालाब की देखरेख अब कलूराम का बेटा वेदप्रकाश कर रहा है। इस पहाड़ी पर जंगली बिल्ली, लकड़बग्गा, सेह, बाज, तोते, कबूतर, तीतर, खरगोश, नेवले, चूहे, सर्प, चील, नीलगाय, जंगली सूअर, हिरण आदि दिखाई देते हैं। इसके अलावा यहां बासा, हड़ज्जूड़, सदाहारी, देसी कीकर, जांटी, नीम, पीपल, पीलपानी, हिंगोरण, सहमूली, सदुणु इत्यादि औषधीय गुणों वाले पौधे काफी संख्या में मौजूद हैं। बबीता श्योराण ने बताया कि अटेला कलां के निवासी वेदप्रकाश ने इस पहाड़ी की जैव विविधता को रक्षित रखने में काफी काम किया है और कर रहा है। वेदप्रकाश की मेहनत को देखकर दूसरे लोग भी इन जीवों की सेवा करने का बीड़ा उठाए हुए है। गांव की बीएमसी में वेदप्रकाश जैसे प्रकृति प्रेमी को शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि गांव अटेला कलां की पीबीआर अर्थात पीपल बायोडाइवर्सिटी रजिस्टर बनाया जा रहा है। यह पीबीआर हर एक गांव की बनाई जाएगी, जिसमें गांव की वन्य व प्राकृतिक संपदा का समस्त विवरण लिखा जाएगा। भविष्य में इनके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ होगी तो उसके लिए बीएमसी यानि कि गांव की बायो मैनेजमेंट कमेटी से अनुमति लेनी होगी। इस दौरे में गांव की महिलाओं ने भी अपनी रूचि दिखाते हुए पेड़-पौधों तथा जानवरों की देखभाल के प्रति इच्छा जाहिर की। गांव की इस पहाड़ी को वन विभाग की ओर से रिजर्व में रखा गया है और यहां खनन कार्य नहीं किया जा रहा है। ग्रामवासियों के साथ वन दरोगा मीरसिंंह, शक्ति सिंह, सुरेंद्र आदि मौजूद रहें।
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