गुरुद्वारा लखपत साहिब: पीएम मोदी ने अटल जी को किया याद, कहा- कच्छ के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही उनकी सरकार

Khoji NCR
2021-12-25 08:42:12

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के कच्छ में गुरुद्वारा लखपत साहिब में आयोजित गुरुपरब समारोह को संबोधित किया। हर साल 23 दिसंबर से 25 दिसंबर तक गुजरा

के सिख लखपत साहिब गुरुद्वारे में गुरु नानक देव जी का गुरु पर्व मनाते हैं। गुरु नानक देव अपनी यात्रा के दौरान लखपत गुरुद्वारा साहिब में रुके थे। गुरुद्वारा लखपत साहिब में उनकी कुछ वस्तुएं रखी हुई हैं, जिनमें खड़ाऊं, पालकी और पांडुलिपियां शामिल हैं। गौरतलब है कि, इसी साल 19 नवंबर को गुरु नानक देव जी का 552 वां प्रकाश पर्व मनाया गया था। उनकी ही स्मृति में गुजरात की सिख संगत दिसंबर के महीने में लखपत गुरुद्वारा साहिब में गुरुपर्व मनाती है। जानकारी के मुताबिक साल 2001 के दौरान कच्छ में आए भूकंप से लखपत गुरुद्वारे को नुकसान हुआ था। तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए पीएम मोदी ने मरम्मत सुनिश्चित करवाने के तत्काल आदेश दिए थे। पीएम की यह पहल सिख पंथ में उनकी गहरी आस्था को साफ दर्शाता है। गुरुद्वारा लखपत साहिब पीएम मोदी के संबोधन की खास बातें: - गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है। आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूँ, तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे कैसे झंझावातों को देखा है। एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था: PM - यहां प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई। इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था: PM - 2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था। मझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया: PM - गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया: PM - कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं। इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है। यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला: PM - अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं। गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? - PM - ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे। देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है: PM - गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया:

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