अमेरिका ने उइगरों के उत्पीड़न के विरोध में चीन पर लगाए प्रतिबंध

Khoji NCR
2021-12-17 09:36:56

वाशिंगटन, अमेरिका की बाइडन सरकार ने गुरुवार को चीन की कई बायोटेक, सर्विलांस कंपनियों और कई सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए। प्रतिबंध की यह कार्रवाई शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमो

ं पर चीन के अत्याचारों के विरोध में की गई है। इन प्रतिबंधों के चलते दायरे में आई कंपनियां अमेरिकी अर्थतंत्र में व्यापार नहीं कर पाएंगी। यदि किसी कंपनी की अमेरिका में संपत्ति है तो वह जब्त कर ली जाएगी। इसी प्रकार से प्रतिबंधित अधिकारी अमेरिका की यात्रा नहीं कर पाएंगे और अगर उनकी संपत्ति अमेरिका में होगी तो उसे जब्त कर लिया जाएगा। अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने चीन की एकेडमी आफ मिलिटरी मेडिकल साइंसेज और 11 अन्य शोध संस्थानों को प्रतिबंधित किया है। ये संस्थान बायो टेक्नोलाजी विकसित करने में चीन की सेना के साथ मिलकर कार्य करते हैं। ये संस्थान और कंपनियां अमेरिका से भी कई तरह के उपकरणों और अन्य सामग्री की खरीद करते हैं लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं कर पाएंगे। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो ने कहा है कि विज्ञान, बायो टेक्नोलाजी और चिकित्सकीय आविष्कार लोगों का जीवन बचाने के लिए होते हैं। लेकिन चीन इन सबका उपयोग लोगों को नियंत्रित करने और धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने के लिए कर रहा है। इसलिए हम उसे अमेरिकी तकनीक और साफ्टवेयर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे सकते। अमेरिका को खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली है कि चीन ने शिनजियांग प्रांत में रहने वाले 12 से 65 वर्ष के सभी लोगों के चेहरों की बायोमीट्रिक पहचान और उनका डीएनए सैंपल ले लिया है। यह उइगर समुदाय की जनसंख्या को कम करने की सुनियोजित साजिश है। वाणिज्य विभाग ने पिछले हफ्ते चीन की चेहरे की पहचान करने वाले उपकरण बनाने वाली साफ्टवेयर कंपनी सेंसटाइम में अमेरिकी निवेश पर रोक लगाने की घोषणा की थी। चीन ने शिनजियांग में किसी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से इन्कार किया है। कहा है कि वहां जो कदम उठाए जा रहे हैं वे आतंकवाद से बचाव के लिए हैं। शिनजियांग में हो रहा नरसंहार ब्रिटेन के एक प्रमुख अधिवक्ता की अगुआई वाली स्वतंत्र और गैर सरकारी संस्था ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर समुदाय के लोगों का नरसंहार होने का दावा किया है। संस्था ने इस मानवता के खिलाफ अपराध की संज्ञा दी है। उइगर ट्रिब्यूनल नाम की इस संस्था में कई वकील, शिक्षा जगत के विद्वान और कारोबारी हैं। संस्था ने नरसंहार को रोकने के लिए सरकारों से कड़े कदम उठाने का अनुरोध किया है।

Comments


Upcoming News