सायशा शिंडे: मिलिए ट्रांस डिज़ाइनर से जिन्होंने किया मिस यूनिवर्स हरनाज़ संधु की फिनाले गाउन डिज़ाइन

Khoji NCR
2021-12-15 08:24:42

नई दिल्ली, । भारत के पॉपुलर युवा डिज़ाइनर्स में से एक स्वप्निल शिंडे ने साल की शुरुआत में सोशल मीडिया के ज़रिए बताया था कि वे ट्रांसवुमन हैं और अब से उनका नाम सायशा शिंडे है। अब यही ट्रांस डिज़

इनर दुनियाभर में मिस यूनिवर्स 2021 के फिनाले गाउन की वजह से सुर्खियां बटोर रही हैं। सायशा ने कोई और नहीं बल्कि मिस यूनिवर्स 2021 हरनाज़ संधु के फिनाले राउंड के लिए गाउन डिज़ाइन किया था। आपको बता दें कि हरनाज़ संधु ने साल 2021 का मिस यूनिवर्स काउन अपने नाम किया, वह भारत के लिए ये खिताब जीतने वाली तीसरी महिला हैं। भारत को यह खिताब 21 साल के लंबे इंतज़ार के बाद मिला है। तो आइए जानें फिनाले गाउन और इसे डिज़ाइन करने वाली ट्रांस महिला के बारे में। हरनाज़ का गाउन हरनाज़ ने प्रतियोगिता के फिनाले के लिए गहरा वी-नेकलाइन वाला खूबसूरत शिमरी गाउन पहना था। गाउन के बारे में बात करते हुए सायशा ने बताया कि एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मिस इंडिया से एक निश्चित उम्मीद रहती है। उसे एलीगेंट, बेहतरीन दिखने के साथ गाउन को ताक़तवर, मज़बूत दिखने के साथ नाज़ुक और सभ्य भी दिखना चाहिए। जो संयोगवश मेरे एक महिला बनने के बाद अब मेरा ब्रांड बन गया है। कैसे बनाया गाउन गाउन को कढ़ाई, पत्थरों और सीक्विन से सजाया गया। क्योंकि हरनाज़ सस्टेनबिलिटी में विश्वास करती हैं, इसलिए हमने स्टूडियो में पड़े कढ़ाई के मटेरियल का ही उपयोग किया। हरनाज़ पंजाब से आती हैं, इसलिए शिंडे ने उनके गाउन में फुलकारी के खूबसूरत डिज़ाइन भी बनाए थी। स्वप्निल से सायशा तक का सफर इसी साल जनवरी में, इस डिज़ाइनर ने इंस्टाग्राम की पोस्ट के ज़रिए अपने बारे में बताया था। उन्होंने लिखा था, " आप कहां से आते हैं इसके बावजूद, हमेशा कुछ ऐसा होगा जो आपको आपके बचपन की याद दिलाएगा। यह मुझे उस अकेलेपन की ओर ले जाता है, जो दर्द देने वाला था, दबावों ने मुझे एकांत में धकेल दिया और भ्रम की अराजकता जो हर पल बढ़ती गई। स्कूल और कॉलेज के दौरान, लड़कों ने मुझे बहुत सताया क्योंकि मैं अलग था, लेकिन बीतर का दर्द इससे कहीं ज्यादा ख़राब था। मैं इस वास्तविकता को जीने में घुटन महसूस कर रहा था, जो मुझे पता था कि मेरी नहीं थी, फिर भी मुझे सामाजिक अपेक्षाओं और मानदंडों के कारण हर रोज़ मुझे दूसरे भेस में जीना पड़ता था। जब में 20-21 साल का थी, तब मुझे निफ्ट में अपनी सच्चाई को स्वीकार करने का साहस मिला और मैं सचमुच खिल गया। मैंने अगले कुछ साल यह मानते हुए बिताए कि मैं पुरुषों के प्रति आकर्षित था क्योंकि मैं समलैंगिक था, लेकिन यह 6 साल पहले ही मुझे आखिरकार समझ आया के मैं समलैंगिक नहीं बल्कि एक ट्रांसवुमन हूं।"

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