पार्किसंस के इलाज की मिली राह, इस मालीक्यूल से बनाई जा सकेगी असरकारक दवा

Khoji NCR
2021-12-12 08:01:12

बाथ एएनआइ। तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारी पार्किसंस की रोकथाम और इलाज की दिशा में विज्ञानी एक बड़ी उपलब्धि की ओर बढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी आफ बाथ के विज्ञानियों की एक टीम ने एक खास मालीक्यूल

ो परिष्कृत किया है, जिससे पार्किसंस की रोकथाम संभव है। इससे दवा बनाकर इस घातक बीमारी का इलाज भी हो सकेगा। यह शोध जर्नल आफ मालीक्यूलर बायोलाजी में प्रकाशित हुआ है। शोध का नेतृत्व करने वाले डिपार्टमेंट आफ बायोलाजी एंड बायोकेमेस्ट्री के प्रोफेसर जोडी मेसन ने बताया कि वैसे तो अभी काफी सारा काम किया जाना है, लेकिन इस मालीक्यूल से दवा विकसित करने की पूरी संभावना है। इन दिनों जो दवा उपलब्ध हैं, उनसे सिर्फ पार्किसंस के लक्षणों का इलाज हो सकता है। लेकिन अब हमें ऐसी दवा विकसित करने की उम्मीद है, जिससे कि लोग इस बीमारी के लक्षण से पहले वाली स्थिति वाला अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं। बता दें कि पार्किसंस डिजीज में शरीर के अंगों में कंपन महसूस होता है। इससे चलने-फिरने तथा संतुलन बनाने में कठिनाई होती है। दुनिया में करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में इनकी संख्या लगभग 5.8 लाख है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 60 साल पार लोगों में अधिक देखने को मिलता है। दरअसल, इस बीमारी में इंसानी कोशिकाओं में एक खास प्रोटीन ‘मिसफोल्ड’ जाता है, जिससे उसका कामकाज बिगड़ जाता है। यह प्रोटीन- अल्फा-सिन्यूक्लिन (एएस) मानव मस्तिष्क में पर्याप्त मात्र में पाया जाता है। मिसफोल्डिंग के बाद काफी बड़ी मात्र में यह जमा हो जाता है, जिसे लेवी बाडीज कहते हैं। इसमें पाया जाने वाला एएस संग्रह डोपामाइन उत्पादित करने वाली मस्तिष्क कोशिकाओं के लिए विषैला होता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। इसी कारण डोपामाइन के सिंग्नल में कमी आ जाती है और पार्किसंस डिजीज के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। चूंकि मस्तिष्क से अन्य अंगों को भेजे जाने वाले सिग्नल में गड़बड़ी पैदा जाती है, इसलिए पीड़ितों में कंपन की स्थिति उत्पन्न होती है। पहले के प्रयासों में अल्फा-सिन्यूक्लिन (एएस) प्रेरित न्यूरोडिजनरेशन (तंत्रिका क्षरण) को लक्षित कर उसे डिटाक्सफाइ (विष रहित बनाना) करने के क्रम में विज्ञानियों ने पेप्टाइड (अमीनो एसिड की छोटी श्रृंखला होती है, जो प्रोटीन की निर्माण इकाई होती है) का व्यापक विश्लेषण किया ताकि एएस के मिसफोल्डिंग को रोका जा सके। इसके लिए दो लाख नौ हजार 952 पेप्टाइड की स्क्रीनिंग की गई। प्रयोगशाला में इनमें से पेप्टाइड 4554डब्ल्यू को सबसे अधिक कारगर पाया गया, जो एएस को टाक्सिक के रूप में संग्रहित होने से रोकता है।

Comments


Upcoming News