नई दिल्ली/केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार ने एक साल पहले लाए गए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस ले लिया है, लेकिन किसान संगठन 29 नवंबर को संसद कूच करने पर उतारु हैं। ऐसे म
ं संसद सत्र के दौरा किसानों का यह कोशिश केंद्र सरकार के लिए चिंता बढ़ाने वाली है। इसके लिए दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर) पर किसानों का जमावड़ा बढ़या जा रहा है। इस बाबत संयुक्त किसान मोर्चा के अहम नेताओं शुमार डा. दर्शन पाल का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसानों की सिर्फ एक मांग पूरी हुई है यानी तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान हुआ है। इसके अलावा भी हमारी आधा दर्जन बेहद अहम मांगें हैं, जिस पर केंद्र सरकार को गौर करना चाहिए। इससे पहले दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी सरकार से सिर्फ तीनों कृषि कानून ही नहीं बल्कि एमएसपी, प्रदूषण और बिजली बिल जैसे मुद्दों पर भी बात की जानी है। यह भी देखना है कि सरकार किसानों से बात करने आगे आती है या नहीं। बता दें कि विभिन्न मांगों को लेकर किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को गति देने का फैसला किया है। इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आगामी 29 नवंबर को संसद मार्च का फैसला किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय कमेटी की ओर से फैसला लिया गया है कि 29 नवंबर को गाजीपुर बार्डर और टिकरी बार्डर से 500/500 किसान ट्रेक्टर समेत संसद भवन के लिए रवाना होंगे, किसानों को जहां रोका जाएगा वहीं ये धरने पर बैठ जाएंगे। इसको लेकर किसान नेता डा. दर्शनपाल का कहना है कि हम अपने पुराने रुख पर ही कायम है कि जब तक हमारी सभी बातें नहीं मान ली जाती हैं, तब तक दिल्ली-एनसीआर के बार्डर धरना प्रदर्शन चलता रहेगा। 26 नवंबर को बार्डर पर भीड़ जुटाने की तैयारी में लगे नेता बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 नवंबर को देशभर में ऐतिहासिक किसान संघर्ष के एक साल पूरे होने को व्यापक रूप से मनाने का फैसला किया है। दरअसल, 26 नवंबर संविधान दिवस भी है। इसी तारीखी को भारत का संविधान 1949 में संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था ऐसे में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर 26 नवंबर को भारी भीड़ जुटाई जाएगी।
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