नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार सुबह राष्ट्र को संबोधित किया और इस दौरान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया। पीएम मोदी के इस फैसले की अब विरोधी भी सराहन
कर रहे हैं। वहीं, भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी गुट) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सभी आंदोलनकारियों को बधाई। सभी का धन्यवाद, लेकिन अभी तक सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई बात नहीं की है, जो हमारी प्रमुख मांगों में एक है। इसी तरह आंदोलन के दौरान हरियाणा में 48 हजार से ज्यादा किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे को लेकर भी कोई बात नहीं कही गई और न ही बिजली बिल को लेकर कोई बयान नहीं आया। इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। कानून रद करने संबंधी बिल संसद में पास होने तक इंतजार भी करना पड़ सकता है। बैठक में ही आंदोलन को लेकर आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी। इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें। वहीं, कृषि कानून विरोधी आंदोलन को लेकर कुंडली बार्डर प्रदर्शन में शामिल मजदूर अधिकार संगठन की नौदीप कौर ने कहा कि यह हमारी बहुत बड़ी जीत है, लेकिन अभी भी एमएसपी, शहीद किसानों की कोई बात नहीं, आंदोलन के दौरान एफआइआर, जेल जाने वालों को लेकर कोई बात नहीं की गई। मुकदमा वापस लेने पर सरकार ने कोई बात नहीं की। नवदीप कौर ने यह भी कहा कि नरेंन्द्र मोदी सरकार का यह फैसाल उत्तर प्रदेश व पंजाब के चुनाव को देखते हुए एक तरह से राजनीतिक फैसला लग रहा है। हालांकि आंदोलन के लेकर अंतिम निर्णय मोर्चा को लेना है। शुक्रवार शाम तक संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होने की संभावना है। बैठक में समग्र रूप से सभी बिंदुओं पर चर्चा के बाद जो भी निर्णय लिया जाएगा, उस पर सभी लोग अमल करेंगे।
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