पुर्व राज्य ग्रह मंत्री चौधरी सरदार खां मरहूम की 28 वीं योम ए वफात पर उन की जिन्दगी के बेहद खास

Khoji NCR
2020-12-20 10:30:57

साहून खांन नूंह जिंदा कौमों कि निशानी और जिम्मेदारी है कि वो अपने आदर्श शखशियत को कभी फरामौश ना करें। पुर्व राज्य ग्रह मंत्री मरहूम चौधरी सरदार खां को सियासी गलयारों में एक कामयाब सियासी ल

डर के तौर पर हमैशा याद किया जाएगा मेवाती राजनेताओं के लिए उनकी जीवनी जहां आदर्श है।वही चौधरी सरदार खां ज्यादा से ज्यादा मेवातियों को मुलाजमत दिलाने मामले में आदर्श और रोल मॉडल की हैसियत रखते वमरहूम चौधरी सरदार खां को जहां सियासी गलयारों में एक कामयाब सियासी शखशियत और लीडर के तौर पर याद किया जाता है वहीं मेवाती कौम उन के नाम को मेवाती नेताओं में सब से ज्यादा क्षेत्र के यूवाओं को सरकारी मुलाजमत दिलाने के हवाले से जानते हैं इन कि इस खूबी की वजह से मेवाती कभी उन का गुणगान करते हुए नहीं थकते आज उन की 28 वीं बरसी मेवाती कौम उन का नाम हर मंच और फौरम से एक बहतरीन कौमी लीडर के तौर पर लेते नहीं थकते है चौधरी सरदार खां उन बेमिसाल राजनेताओं में थे जिन पर न सिर्फ मेवात के बे शूमार यूवाओं को हर विभाग में सरकारी नोकरी दिलाने का कर्ज है बल्कि मेवात में ज्यादा से ज्यादा नोकरी दिलाने के मामले में कोई उन का सानी नहीं है हरियाणा मेवात की जनता उन के इस खूबी पर आज तक भी उन का नाम अदब अहतराम से लेते हुए फख्र महसुस करती है।उस की इस खूबी की वजह से मेवाती राजनेताओं के लिए जहां उनकी जीवनी आदर्श है।वही चौधरी सरदार खां ज्यादा से ज्यादा मुलाजमत दिलाने मामले में आदर्श और रोल मॉडल की हैसियत रखते हैं। जिंदा कौमों कि निशानी और जिम्मेदारी है कि वो कभी भी अपने आदर्श लिडर और रोल मॉडल शखशियत को फरामौश ना करें। उस की खूबियों का कहाँ तक जिक्र किया जाए। बस इतना कहना काफी है कि मरहूम चौधरी सरदार खां साहब एक ऐसे नेता और लीडर मेवात में पैदा हुए जिन के बारे में बजा तौर पर यह शैर कहा जा सकता है कि हजारों साल नरगिस अपनी बे नूरी पर रोती है। बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा। मे फिर कहता हूं जब जब भी मेवात में विकास और ज्यादा से ज्यादा संख्या में मेवाती यूवाओं को नोकरी दिलाने का जिक्र होगा तो उस फहरिस्त और सुची में चौधरी रहीम खां के तराशे हुए इस हीरे का नाम सब से उपर होगा। मेवात की बदकिस्मती रही के उस को मेवाती जनता ने एक बार ही मौका दिया उन की सियासी सलाहियत फिरासत सूझबूझ और सियासी उतार चडाव सियासी जौहरों के रमज शानशी कि वजह से हरियाणा सरकार ने 1977 मे गृह राज्य मंत्री बना दिया उस दौर के लोग बताते हैं कि उन कि ईमानदारी की मिशाल वो खुद आप ही थे एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा बिछड़ा कुछ इस तरह की रुत ही बदल गई इक शख़्स सारे जहान को वीरान कर गया एक मसीहा ने यूं जाकर गमजदा कर दिया यूं तो हर शख्स कि मौत का वक्त मुक़र्रर है किसी को पता नहीं कब उस का रब अपने यहां बुलाले लेकिन कुछ शखशियतें बेहद अज़ीम शख़्सियत कि मालिक होती है और उन का अचानक चले जाना हर एक को हैरान और परेशान कर जाता है 19 दिसंबर, 1992 को वफ़ात पाए मरहूम चौधरी सरदार ख़ान साहब के जस्दे ख़ाकी को 20 दिसंबर 1992 को 60-70 हज़ार डुबडबाई आंखों ने बाबरी मस्जिद शहादत के हालात में कर्फ्यू लगने के माहोल मे लोगों ने अपने महबूब नेता को सुपुर्दे-ख़ाक़ किया।मैनेजर अख्तर चंदेनी बताते हैं कि सरदार खां पहले ऐसे नेता हैं जिन्हें सैंकड़ों पुलिस फौर्स ने उन्हें तौप और गौलों की सलामी देकर नम आंखो से आखरी दिदार किया और उस वक्त बेरहम वक्त की गवाह हर बेबस और गमजदा भरी हुई आखें सिर्फ़ ये सोच कर बरस रही थी

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