भोपाल, भोपाल के सरकारी हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) परिसर के कमला नेहरू अस्पताल (Kamla Nehru Hospital) के नवजात शिशु वार्ड (Newborn Baby Ward) में हुए दर्दनाक हादसे चार बच्चों की मौत हो गई थी लेकिन अभी भी घायल हुए आधा दर्ज
बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बच्चों की मौत का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मशीन में अचानक आवाज हुई और आग लगने लग गई, देखते ही देखते चारों तरफ धुआं भर गया। धुएं के बीच नर्से बच्चों की जान बचाने के लिए भागती नजर आयी। कई बच्चों को बेहोशी की हालत में उन्हें निचली मंजिल पर पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में भर्ती कर फौरन ऑक्सीजन भी लगायी। हालात तब और खराब हो गए जब दमकल वाहन से आग बुझाने के दौरान पाइपलाइन फट गई, जिसकी वजह से दूसरी और तीसरी मंजिल पर गलियारे में पानी भर गया था। पानी भरा होने की वजह से कई डॉक्टर भी यहां गिर पड़े। लगा कि अब जिंदा नहीं बचेंगे घटना के चश्मदीद राजगढ़ निवासी रईस खान ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह अपने पोते के पास ही बैठै थे। बच्चे पर लगायी गई मशीन में अचानक आवाज हुई और आग लगने लगी। दर्जनों नवजात बच्चे उस समय कमरे में थे। वहां मौजूद बहुत से लोगों ने बच्चों को उठाकर भागने की कोशिश की लेकिन मेडिकल उपकरण लगे होने के कारण बच्चों को उसमें से निकालने की हिम्मत नहीं हुई। देखते ही देखते पूरा कमरा धुएं से भर गया। लग रहा था आज जिंदा नहीं बचेंगे। डाक्टर ने बताया... वार्ड में चारों तरफ फैला था धुआं ही धुआं अस्पताल में इस घटना के दौरान मौजूद जूनियर डाक्टर रघुराम राजपूत ने बताया कि वार्ड में शार्ट सर्किट के बाद धुआं ही धुआं भर गया था। चारों तरफ अंधेरा था कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। ऐसे में कुछ डॉक्टर और नर्सो ने मिलकर तीन-चार बच्चों को उठाया और दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया। धुएं के कारण स्थिति बेकाबू थी। बच्चों का पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड में शिफ्ट किया गया। धआं इतना ज्यादा था कि नर्सिंग स्टाफ के कुछ लोग बेहोश हो गए थे। बच्चों का हाल जानने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे परिजन परेशान परिजनों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर जमकर गुस्सा उतारा। वहां मौजूद अधिकारी और पुलिस परेशान परिजनों को तसल्ली दे रहे थे। पूरे अस्पताल में भगदड़ का माहौल था। परिजन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के सामने अपने बच्चों का हाल जानने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे। अस्पताल के तीसरी मंजिल पर बने इस वार्ड में सोमवार रात 8 बजे के करीब स्टाफ नर्सो के अलावा डॉक्टर भी मौजूद थे, यहां 40 बच्चे भर्ती थे। हादसा उस समय हुआ जब वेंटीलेटर में शार्ट सर्किट की वजह से वार्ड में आग लग गई और पूरा कमरा धुएं से भर गया। देखते ही देखते अफरातफरी मच गई, आनन फानन में वहां मौजूद स्टाफ ने वार्ड के कांच तोड़ दिए। बच्चों को बचाने के लिए स्टाफ ने उन्हें पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड में पहुंचा दिया। आग की सूचना मिलते ही बच्चों के परिजन वार्ड की ओर दौड़ पड़े और अपने अपने बच्चों को लेकर वार्ड से बाहर भागना शुरू कर दिया। तब तक वार्ड काले जानलेवा धुएं से भर चुका था। जिसकी वजह से बच्चों को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे तीन नर्सिंग स्टाफ बेहोश भी हो गए। इसी बीच वार्ड के बाहर मौजूद परिजनों ने भी अपने बच्चों को लेकर बाहर भागना शुरू कर दिया। अब तक मुख्य वार्ड से धुआं सामने के वार्ड में भी भरना शुरू हो गया था, इससे अफरातफरी की स्थिति बन गई। बच्चों को सुरिक्षत स्थान पर ले जा रहे तीन नर्सिंग स्टाफ और एक वार्ड भी धुएं की वजह से बेहोशी स्थिति में पहुंच गए। बिजली आपूर्ति बाधित होने से बंद हुए जीवनरक्षक उपकरण आग लगने की वजह से अस्पताल में बिजली आपूर्ति बाधित हो हो गई जिसकी वजह से जीवनरक्षक उपकरण बंद हो गए, उनका बैटरी बैकअप भी खत्म हो गया। वेंटीलेटर ने भी काम करना बंद कर दिया ऐसे में वेंटीलेटर पर रहने वाले बच्चों को तुंरत वैकल्पिक व्यवस्था कर दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किया गया। कुछ बच्चों को ऐसे में अंबूबैग ऑक्सीजन देनी पड़ी। वेंटीलेटर पर रहने वाली एक सात वर्षीय बच्ची की हालत गंभीर बतायी गई है। वार्ड में नहीं थे अग्निशमन यंत्र हमीदिया अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में अग्निशमन यंत्र नहीं थे। जिसकी वजह से आग फैलती चली गई और इस पर काबू करना मुश्किल हो गया। धुआं इतना ज्यादा था कि कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। जिसकी वजह से बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने में काफी मुश्किल हो रही थी। इस वार्ड में कुल 40 बच्चें थे जिनमें से 36 बच्चों की जान बचा ली गई चार बच्चों की मौत हो गई। दो घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू आग की सूचना मिलते ही 15 मिनट के अंदर मौके पर पहुंचे 10 दमकल वाहन आग को बुझाने के कार्य में जुट गए। आग अस्पताल के वार्ड में लगी होने के कारण इसे बुझाने में दो घंटे का समय लगा। वार्ड के पीडियाट्रिक वेंटीलेटर में शार्टसर्किट होने की वजह से ये आग लगी। देखते ही देखते पूरे वार्ड में काला धुआं फैल गया। दमकल विभाग में आग की सूचना देने के बाद दमकलकर्मियों केा इसे बुझाने में दो घंटे का समय लगा। इस दर्दनाक घटना में चार नवजात बच्चों की मौत हो गई। मृत बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख सहायता राशि घटनास्थल पर पहुंचे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने चिकित्सा अधिकारियों से इस घटना के बारे में जानकारी ली और आक्रोशित परिजनों को समझाया। इसके साथ ही सभी प्रभावित बच्चों के समुचित इलाज उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया और घटना का शिकार हुए मृत बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का भी ऐलान किया।
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