कभी हमें घटिया समझने वाले अब इस वजह से हमारे तलवे चाटते हैं, रेसिज्म पर फारुख इंजीनियर का बड़ा बयान

Khoji NCR
2021-06-09 08:45:46

नई दिल्ली, । रेसिज्म से हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ हैं और ये पूरी दुनिया में फैली हुई है। खेल में भी रेसिज्म जमकर होता है और क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है। रेसिज्म को लेकर अब टीम इंडिया के पूर्व क

रिकेटर फारुख इंजीनियर ने भी अपनी राय दी है और बताया कि, किस तरह से उन्हें भी इसका शिकार होना पड़ा था। टीम इंडिया के इस पूर्व विकेटकीपर ने बताया कि, किस तरह से उन्हें रेसिज्म का सामना करना पड़ा था जब वो लंकाशायर के लिए इंग्लैंड में खेलते थे। फारुख इंजीनियर 1960 के दशक के शुरुआत में इंग्लैंड के काउंटी क्लब लंकाशायर के लिए खेलने गए थे। एक क्रिकेटर के तौर पर ओल्ड ट्रैफर्ड में वो काफी लोकप्रिय हुए, लेकिन बाद में जब उन्हें परेशानी हुई तब उन्होंने वापस आने का फैसला किया। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि, जब मैं पहली बार काउंटी क्रिकेट में आया तब 'वो भारत से है' जैसे सवाल सामने थे। जब मैंने लंकाशायर टीम के साथ जुड़ा तब मुझे एक या दो बार मुझे नस्लवादी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं भारत से था और इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं था। वहां मेरे उच्चारण का मजाक बनाया गया। फारुख ने कहा कि, मेरी अंग्रेजी कई इंग्लिश खिलाड़ियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर है और उन्हें भी जल्दी ही अहसास हो गया था कि, आप इस खिलाड़ी के साथ किसी तरह का खिलवाड़ नहीं कर सकते। उन्होंने मुझसे कुछ भी कहा मैंने तुरंत ही उसका जवाब दिया। यही नहीं मैंने बल्ले और विकेटकीपिंग में भी खुद को साबित किया और भारत के राजदूत के रूप में उनके सामने खुद को प्रस्तुत किया। अब हाल ही में फारुख इंजीनियर ने पोडकास्ट पर हास्य कलाकार साइरस बरोचा के साथ बात करते हुए बताया कि, कैसे भारतीय खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट में रेसिज्म का सामना करते थे। उन्होंने बताया कि, पूर्व इंग्लिश कप्तान ज्योफ्री बायकॉट भारतीय खिलाड़ियों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे, लेकिन बाद में आइपीएल की वजह से उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। फारुख ने कहा कि, कुछ साल पहले तक जो हमें घटिया समझते थे, लेकिन जैसे ही आइपीएल शुरू हुआ उन्होंने हमारे तलवे चाटने शुरू कर दिए। ये बदलाव सिर्फ आइपीएल में मिलने वाले पैसों की वजह से हुआ, लेकिन मेरे जैसों लोगों को पता है कि, शुरुआत में क्या स्थिति थी और अब क्या सच्चाई है।

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