प्रदूषण का ख़तरनाक स्तर कैसे वायरल बुखार की वजह बन जाता है?

Khoji NCR
2021-11-08 08:16:13

नई दिल्ली,दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता का स्तर तेज़ी से गिरा है, ख़ासतौर पर दिल्ली और एनसीआर के इलाको में, शहर के कई इलाकों में AQI ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो हवा में

ीएम 2.5 का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। ख़राब हवा गुणवत्ता कई कारकों के कारण होती है, जिसमें पराली जलाना, प्रदूषक, पटाखे जलाना शामिल है, वायु प्रदूषण एक वास्तविक समस्या है जो कई अलग-अलग समस्याओं का कारण बन सकती है, और लंबे समय में सेहत पर इसके परिणामों को देखा जा सकता है। आंखों में खुजली और जलन, गले की एलर्जी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसी प्रमुख समस्याओं का अनुभव करना पड़ता है। हमें इस बात का अहसास नहीं है कि ख़राब वायु गुणवत्ता स्तर भी वायरल बुख़ार जैसी कठिन समस्याएं पैदा कर सकता है, श्वसन संक्रमण को जटिल बना सकता है और लोगों को अतिरिक्त जोखिमों के प्रति संवेदनशील बना सकता है। प्रदूषण का स्तर इस वक्त विशेष रूप से चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि इस समय हम पहले से ही वायरल और मौसमी संक्रमणों के खराब प्रवाह का सामना कर रहे हैं। बढ़ता प्रदूषण वायरल जैसी बीनारी को कैसे बदतर बना सकता है वायरल संक्रमण के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण मौसमी परिवर्तन और प्रतिरक्षा का कमज़ोर होना है, एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि PM 2.5 और PM 10 का स्तर, जो सांस लेने वाली हवा को रोकते हैं, ऐसे कारक भी हैं जो मौसमी संक्रमण को प्रभावित कर सकते हैं। इस साल सर्दी, खांसी, वायरल बुख़ार, स्वाइन फ्लू और एच1एन1 इन्फ्लूएंज़ा के मामले बढ़े हैं और इसके पीछे की वजह वायु प्रदूषण है। वायु प्रदूषण और वायरल बीमारियों के बीच के वास्तविक लिंक पर निर्णायक अध्ययनों की कमी है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इस बात के साफ तौर पर सबूत मिले हैं, कि हवा में प्रदूषक न सिर्फ हमारे द्वारा सांस लेने वाली हवा को बाधित करते हैं, ऑक्सीजन के स्तर को कम करते हैं, बल्कि इन बीमारियों को बढ़ाने का कारण भी बनते हैं। निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण और अन्य ऊपरी श्वसन संक्रमण जैसे बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण अक्सर प्रदूषण की वजह से ही होते हैं। क्योंकि हवा में प्रदूषक (नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर सहित) हमारे श्वसन मार्ग को बंद कर देते हैं, और फेफड़ों और श्वसन पथ के विभिन्न हिस्सों में जलन पैदा करते हैं, इसलिए सांस संबंधी लक्षणों का सामना करने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, जब हम गंदी, प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो यह प्रतिरक्षा सुरक्षा को कमजोर कर सकती है, जिससे हमारी संक्रमण की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। इन लक्षणों पर ध्यान दें हवा में धूल, स्मॉग और प्रदूषकों का उच्च स्तर हमारे श्वसन तंत्र को काफी हद तक प्रभावित करता है, ऐसे में कोई ऐसा व्यक्ति जो पहले से गंभीर रूप से बीमार है उसके लिए यह स्थिति और भी भयानक हो सकती है। सांस लेने में कठिनाई और खाँसी के साथ, कुछ अन्य लक्षण, जो वायरल बीमारियों के साथ आम हो सकते हैं और जिन्हें अनुभव किया जा सकता है, उनमें शामिल हैं: सर्दियों में इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए डाइट में शामिल करें सरसों का साग - आखों का लाल होना, नाक और गले में इरिटेशन होना - शरीर का तापमान बढ़ना यानी हल्का बुखार - सिर दर्द - सीने में कंजेशन - हाइपरसेंसीटिविटी और एलर्जी - कमज़ोरी - चक्कर आना

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