खोजी/सुभाष कोहली कालका। अहोई अष्टमी का व्रत इस वर्ष 28 अक्टूबर गुरुवार को पड़ रहा है। इस व्रत को करने से संतान हीन महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है और पुत्रवती महिलाओं की संतान सुखी निरोगी
और दीर्घायु होती हैं। यह व्रत करवा चौथ के चौथे दिन अर्थात अष्टमी को किया जाता है। इस दिन सुबह उठकर महिलाएं घर की सफाई करती है, स्नान के बाद व्रत का संकल्प करके व्रत रहती हैं। सायंकाल दीवार में अहोई माता और स्याहू का सिंदूर से चित्र बनाकर या शिव पार्वती कलस की पूजा करती हैं। पूजा के समय बच्चों को पास में अवश्य बैठना चाहिए। पूजा के समय 7 प्रकार के अनाजों को भी पूजा में रखना चाहिए। फिर अगले दिन वह सत नजा गौ शाला में दें या जल प्रवाहित कर सकते हैं। इस दिन सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। मिट्टी आदि की खुदाई किसी चीज की कटाई आदि नही करनी चाहिए। बच्चों को या किसी को अपशब्द नही कहना चाहिए। पूजा में मीठा आदि का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय अद्भुत ज्योतिष कार्यालय पिंजौर के संचालक शास्त्री सीता राम शुक्ला के अनुसार अहोई माता के पूजा का शुभ समय इस साल अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 29 अक्टूबर की दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। इस दिन पूजन मुहूर्त 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है। इस व्रत में भी करवा चौथ की भांति चंद्रमा या तारों की पूजा करके ही व्रत खोला जाता है।
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