दिल्ली, । हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है। यह दिन पोलियो टीका की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक जोनास साल्क को समर्पित है। जोनास साल्क का जन्म अक्टूबर महीने में 24 तारीख को हुआ
था। जोनास साल्क की टीम ने साल 1955 में पोलियो टीका की खोज की थी। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पोलियो के प्रति जागरुक करना है। साथ ही लोगों को अपने बच्चों को टीका दिलाने के लिए भी प्रोत्साहित करना है। इस साल की थीम “One Day. One Focus: Ending Polio – delivering on our promise of a polio-free world!” यानी "एक दिन। एक फोकस: पोलियो को खत्म करना - दुनिया को पोलियो मुक्त वादे को पूरा करना है! पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। ऐसा होता है जब स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना खाता है या खाने पीने की चीजें शेयर करता है। इस बीमारी को पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है। बच्चे पोलियो से अधिक शिकार होते हैं। इस बीमारी से आज भी कई देश जूझ रहे हैं। वहीं, साल 2012 में भारत पोलियो मुक्त देश की लिस्ट में शामिल हो चुका है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं- विश्व पोलियो दिवस का इतिहास विश्व पोलियो दिवस मनाने की शुरुआत रोटरी इंटरनेशनल ने की है। इसकी शुरुआत पोलियो टीका की खोज करने वाली टीम के सदस्य जोनास साल्क के जन्मदिन पर की गई है। पोलियो वैक्सीन की खोज साल 1955 में की गई थी। वहीं, पोलियो संक्रमितों के सबसे अधिक मामले साल 1980 में देखे गए थे। जब एक लाख से अधिक बच्चे पोलियो से संक्रमित हो गए थे। उस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत की। इसके अंतर्गत 5 साल और उससे कम उम्र के बच्चों को पोलियो टीका दिया गया। वर्तमान समय में पोलियो की दो बूंद बच्चों को पिलाई जाती है। भारत में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत साल 1995 में हुई थी।
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