साहून खांन नूंह मैं अकेला ही चला था जानिब ए मंजिल मगर, लोग साथ आते गये और कांरवा बनता गया मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी की इन्ही बातों को धरातल पर सच साबित करके दिखा रहे हैं मयुर कुँज नयागांव
िवासी सामाजिक कार्यकर्ता वेद प्रकाश। निःस्वार्थ सामाजिक सेवा के परिचायक बने वेद प्रकाश ने आज के समय की सबसे बड़ी समस्या रूपी महामारी को हराने व नियंत्रण करने की मुहिम को अमलीजामा पहनाते हुये अब तक पचास से ज्यादा लघु जागरूकता कैम्पो का सामाजिक दूरी,मास्क व सैनीटाइजर का प्रयोग करते हुये न केवल आयोजन करवाया बल्कि निःशुल्क रूप से हजारों मास्क,सैनीटाइजर आदि भी वितरित किये व अपनी इस सामाजिक जागरूकता की मुहिम में आम लोगों व मेडिकल विभाग से सम्बंधित व्यक्तियों का सहयोग लेते हुय कोरोना जांच शिविरों का आयोजन करवा कर इस मुहिम को सफल बना कर सभी के लिये एक मिसाल पेश की हैं।सामाजिक कार्यकर्ता वेद प्रकाश ने कोरोना महामारी पर जागरूकता के लिये अपना एक स्लोगन नमस्कार को अपनाओ, कोरोना को भगाओ बना कर भारतीय परंपरा को कोरोना महामारी के विरुद्ध इस अभियान में एक उपयोगी तीर के रूप में प्रयोग किया व इनका यह प्रेरक स्लोगन काफी प्रसिद्ध भी हुआ।कोरोना योद्धा वेद प्रकाश ने अपनी इस जागरूकता मुहिम को मार्च के शुरुआती व भीषण दौर से शुरू कर दिसंबर तक कोरोना की दूसरी लहर तक जारी रख कर कोरोना महामारी को नियंत्रित करने का प्रयास किया हैं।
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