शहीद देश कि अमुल्य धरोहर होते है :- नरेन्द्र बिजारनिया पुलिस अधीक्षक नूँह । खोजी एनसीआर/ साहून खांन नूंह पुलिस प्रवक्ता कार्यालय जिला पुलिस नूँह से प्राप्त जानकारी अनुसार वीरवार
ो पुलिस लाईन के प्रांगण मे पुलिस स्मृति एंव झंडा दिवस मनाया गया । इस अवसर पर देश के लिये शहिद हुये पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानो को जिला पुलिस नूँह की तरफ से श्रद्वासुमन अर्पित कर उन्हे श्रद्वांजलि दी गई तथा इसके पश्चात पुलिस अधीकारियों व कर्मचारियों द्वारा एक दुसरे की शर्ट पर पुलिस ध्वज लगाकर पुलिस झंडा दिवस मनाया । पुलिस अधीक्षक नूँह श्री नरेन्द्र बिजारनिया ने इस अवसर पर देश के लिये शहीद हुए पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों को पुष्प च्रक चढाकर नमन: किया । पुलिस अधीक्षक ने कहा की देश की रक्षा कर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद हमारे देश की अमूल्य धरोहर है । उन्होने कहा की हमें देश के शहीदो से प्रेरणा लेकर अपने जीवन मे प्रण करना चाहिये की हम अपने सामने आने वाली किसी भी चुनौती का दृढता से सामना करेगें चाहे हमे इसके लिये प्राणो की भी आहुति क्यों न देनी पडे । उन्होनें कहा की साल 1959 से चीन से सटी भारतीय सीमा की रक्षा में बलिदान देने वाले दस पुलिसकर्मियों की याद में यह खास दिन मनाना शरु किया गया । यह भी कहा कि देश की सीमा की रक्षा में लगे सैन्य बलों के बलिदान की आपने कई काहनियां सुनी होंगी लेकिन हमारे पुलिस कर्मियों के शौर्य और बलिदान का इतिहास भी किसी से कम नहीं है । कुछ ऐस ही साल 1959 में हुआ था । जब पुलिसकर्मी पीठ दिखाने की बजाय चीनी सैनिको की गोलियां सीने पर खाकर शहीद हुये । चीन के साथ देश की सीमा की रक्षा करते हुये जो बलिदान दिया था । उसकी य़ाद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है । ये बात 21 अक्टूबर साल 1959 की है जब 10 पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया था । तब तिब्बत के साथ भारत की 2,500 मील की सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी । इस घटना से एक दिन पहले 20 अक्टूबर 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गय़ा था । इस कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी । लाइन ऑफ कंट्रोल में जवान गश्त के लिये निकले । आगे गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आये लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे । उसी टुकड़ी में दो पुलिस कॉस्टेबल और पोर्टर शामिल थे । अगले दिन फिर सभी जवानों को इकट्ठा किया गया औऱ गुमशुदा लोगों (जवानों) की तलाश के लिये एक टुकड़ी का गठन किया गया । बता दे की गुमशुदा हो गए पुलिसकर्मियों की तलाश में तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह के नेतृत्व में एक टुकड़ी 21 अक्टूबर 2018 को सीमा के लिए निकली । इस टुकड़ी में करीब 20 पुलसिकर्मी शामिल थे । करम सिंह घोड़े पर सवार पर थे जबकि बाकी पुलिसकर्मी पैदल थे । पैदल सैनिकों को तीन टुकड़ियों में बांट दिया गया था । तभी दोपहर के समय चीन के सैनिंकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलाना औऱ ग्रनेड फेंकना शुरु कर दिया । अपने साथियों की तलाश में निकली ये टुकड़ियां खुद की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं करके गई थी इसलिए ज्यादातर सैनिक घायल हो गए । तब उस हमले में देश 10 वीर शहीद हो गए जबकि सात अन्य बुरी तरह घायल हो गये । यही नहीं , इन सातों घायल पुलिसकर्मियों को चीनी सैनिक बंदी बनाकर ले गये जबकि बाकी अन्य पुलिसकर्मी वहां से निकलने में कामयाब रहे । 13 नवंबर ,1959 को शहीद हुये दस पुलिसकर्मियों का शव चीनी सैनिकों ने लौटा दिया । उन पुलिसकर्मियों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ हुआ । उन्ही शहीदों के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नेशनल पुलिस डे या पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है । ऐसे हुई स्मृति दिवस मनाने की शुरुआत :- जनवरी 1960 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरक्षकों का वार्षिक सम्मेलन हुआ था । इस सम्मेलन में लद्दाख मंे शहीद हुए उन वीर पुलिसकर्मनियों और साल के दौरान ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अन्य पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया । पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हमे देश के लिये शहीद हुये परिवारों के कल्याण के बारे मे भी पुरा ध्यान देना चाहिये ताकि उन्हे समाज मे पुरा मान सम्मान मिले । इस अवसर पर उप-पुलिस अधीक्षक मुख्यालय सुधीर तनेजा सहित सभी थाना व चौकी प्रभारियों के अतिरिक्त अनेक पुलिस कर्मचारियो ने पुष्प चढाकर शहीदो को श्रद्वासुमन अर्पित किया ।
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