मास्को । अफगानिस्तान और तालिबान को लेकर आज मास्को फार्मेट की तीसरी बैठक होगी। इस बैठक में तालिबान के अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद जो हालात पैदा हुए हैं, उसको लेकर हो रही है। इसमें द
देशों के सदस्य हिस्सा ले रहे हैं जिसमें से एक भारत भी है। तालिबान का प्रतिनिधिमंडल भी इस बैठक में हिस्सा ले रहा है। इस बैठक के शुरू होने से पहले ही रूस के विदेश मंत्री सर्गी लावरोव ने ये साफ कर दिया है कि इसमें तालिबान की सरकार को मान्यता देने के मुद्दे को नहीं उठाया जाएगा। बता दें कि ये बैठक मुख्यतौर पर अफगानिस्तान में तालिबान के बाद शुरू हुए मानवीय संकट और मानवता के आधार पर मदद दिए जाने को लेकर है। लावरोव ने ये भी कहा है कि उनका मकसद तालिबान को उनके कहे वादों को पूरा करने के लिए प्रात्साहित करना है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि जब से तालिबान सत्ता में आया है तभी से उन्हें एक पालिटिकल लाइन पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। रूस का मानना है कि उनकी सरकार का ये रुख अफगानिस्तान की सरकार में भी दिखाई देना चाहिए। आपको बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को फिलहाल किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। हालांकि तालिबान इसके लिए पूरी कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि वो बार-बार विश्व समुदाय से अपील कर रहा है। भारत की यदि बात करें तो भारत ने स्पष्ट किया है कि वो इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है। भारत का ये भी कहना है कि वो नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान आतंकियों के लिए जन्नत बन जाए। यदि ऐसा हुआ तो ये विश्व के लिए खतरनाक होगा। मास्को फार्मेट की बैठक से एक दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने विश्व बिरादरी से अपील की थी कि विदेश में जमा अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक के पैसे को रिलीज किया जाना चाहिए।
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