वांशिगटन, । कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए ज्यादा प्रभावी तरीका खोजने के प्रयास में निरंतर शोध किए जा रहे हैं। इसी कवायद में भारतवंशी समेत अमेरिकी शोधकर्ताओं के दल ने एक नया अध्ययन कि
या है। उन्होंने अध्ययन के माध्यम से पहली बार यह साबित किया है कि कोविड वैक्सीन और पूर्व के संक्रमण से कोरोना के दूसरे प्रकारों के खिलाफ व्यापक इम्युनिटी बन सकती है। अध्ययन के इस निष्कर्ष से ऐसी एक सार्वभौमिक कोरोना वैक्सीन के विकास की राह खुल सकती है, जो भविष्य की महामारियों से मुकाबले में उपयोगी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले सामान्य लोगों और कोरोना पीड़ितों पर अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इन लोगों में इम्युनिटी रिस्पांस का मूल्यांकन किया गया। सर्दी-जुकाम का कारण बनने वाला कोरोना वायरस भी हो गया बेअसर अध्ययन से जुड़े अमेरिका की नार्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर पाब्लो पेनालोजा-मैकमास्टर ने कहा, 'हमने इन लोगों में इस तरह का एंटीबाडी रिस्पांस पाया, जिससे सर्दी-जुकाम का कारण बनने वाला कोरोना वायरस भी बेअसर हो गया। अब हम यह पता लगा रहे हैं कि इस तरह की सुरक्षा कितने समय तक शरीर में बनी रहती है।' उन्होंने बताया कि अध्ययन में मौजूदा कोरोना महामारी का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2, वर्ष 2012 में मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) की वजह बने मर्बेकोवायरस और 2003 में सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) की समस्या खड़ी करने वाले सार्स-कोव-1 वायरसों पर गौर किया गया। ये तीनों कोरोना वायरस वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।
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