इस्लामाबाद, बंदूक के बल पर अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज तालिबान ने शनिवार को आइएस समेत अन्य आतंकी संगठनों पर अंकुश लगाने में अमेरिका की मदद करने की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। अफगा
िस्तान से अगस्त में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पहली बार दोनों पक्षों में होने जा रही सीधी वार्ता से पूर्व तालिबान ने सख्त रुख अपनाया। अमेरिका व तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच कतर की राजधानी दोहा में आयोजित दो दिवसीय वार्ता रविवार को समाप्त होगी। इस बीच अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि यह वार्ता तालिबान को मान्यता देने की पहल कतई नहीं है। तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, 'अफगानिस्तान में तेजी से सक्रिय हो रहे इस्लामिक स्टेट (आइएस) समूह से जुड़े संगठनों को लेकर हमारी ओर से अमेरिका को किसी तरह का सहयोग नहीं दिया जाएगा। हम आइएस से अपने दम पर निपटने में सक्षम हैं।' आइएस पूर्वी अफगानिस्तान में वर्ष 2014 से शिया मुसलमानों को निशाना बना रहा है। वह अमेरिका के लिए भी बड़ा खतरा है। हाल ही में मस्जिद पर हुए हमले में भी उससे संबंधित संगठन का हाथ था, जिसमें अल्पसंख्यक शिया समुदाय के 46 लोग मारे गए थे। एएनआइ के अनुसार, स्पुतनिक ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के हवाले से रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक मुत्ताकी ने दावा किया है कि वार्ता के पहले दिन शनिवार को अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय शुरू करने, अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने तथा दोहा शांति समझौते के अनुपालन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। मुत्ताकी ने कहा, 'अफगानी प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि अमेरिका, अफगानिस्तान के वायुक्षेत्र का उल्लंघन न करे और न ही वह देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे।' स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान ने अफगान सेंट्रल बैंक के रिजर्व से रोक हटाने की मांग की। अमेरिका ने अफगानिस्तान को कोविड वैक्सीन की मदद का भरोसा दिया।
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