तावडू 9 अक्टूबर (दिनेश कुमार): नवरात्र उत्सव के तीसरे दिन शनिवार को माता चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा शहर व क्षेत्र के माता मंदिरों सहित अन्य मंदिरों में श्रद्धालूओं द्वारा श्रद्धापूर्वक की गई।
ंदिरों में पूजा के लिए भक्तों की लंबी लाईने नजर आई। शहर के वार्ड नंबर 14 में स्थित श्रीसाईं धाम मंदिर के पुजारी आचार्य धर्मेन्द्र ने बताया कि भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा का है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पडा। माता चंद्रघंटा की पूजा और साधना करने से मन को आलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में ही बल्कि परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है। इनके बंधन से मन को परम सुक्षम ध्वनि सुनाई देती है, जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। क्योंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और ये हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए तत्पर रहती है, इसलिए इनकी अराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। शहर के माता मंदिरों सहित अन्य मंदिरों में माता के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धापूर्वक की गई। इस दौरान पूरा नगर माता के जयकारों से मातामयी बना रहा।
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