खोजी/नीलम कौर कालका/पिंजौर। नवरात्रों के आते ही कालका शहर को एक तरह से नजरबंद कर दिया जाता है। यह कहना है स्थानीय समाजसेविका प्रेम लता का। प्रेम लता का कहना है कि आम लोगों के लिए आपात स्थिति म
ं शहर से बाहर जाना-आना बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि प्रशासन द्वारा पिछले 2-3 वर्शों से कालका शहर में बसों की एंट्री पर पाबन्दी लगा दी जाती है। जिससे आम जनता बहुत परेशान होती है तथा शहर के दुकानदार का काम भी लगभग चौपट हो जाता है। क्योंकि नवरात्रों में हिमाचल प्रदेश व आस-पास के ग्रामीण इलाकों से लोग त्योहारों, विवाह शादी का सामान खरीदने के लिए आते हैं। कुछ लोग काली माता मन्दिर में दर्शनों के लिए आना चाहते हैं, किन्तु बसें न चलने के कारण वो आ नहीं पाते क्योंकि सभी के पास तो अपने नीजि वाहन नहीं होते। कालका-पिंजौर व आस-पास के ग्रामीण इलाकों से भारी संख्या में लोग औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में नौकरी करने जाते हैं, जिन्हें बसें ना चलने के कारण बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है, खासकर महिलाओं को पैदल आना व फिर घर का सारा काम करना पड़ता है। लेकिन स्थानीय प्रशासन को आम लोगों की ये परेशानियां शायद नजर नहीं आ रही है। अप्रैल 2019 के नवरात्रों में जब प्रशासन ने पहली बार बसों की एंट्री शहर में बंद की तो लोगों को अनेक परेशानियों से जूझना पड़ा था, जिसके सम्बन्ध में समाचार पत्रों में भी खबर प्रकाशित हुई थी। शारदीय नवरात्र 2019 से पहले ही सामाजिक संगठनों द्वारा उपायुक्त पंचकूला व उपमण्डल अधिकारी (ना0) कालका को लोगों की परेशानियों से अवगत करवाया था, जिसके बाद बसों की एंट्री से पाबन्दी हटा ली गई थी। सन् 2020 में कोरोना महामारी के चलते मन्दिर बन्द होने के कारण यह समस्या नहीं आई थी। किन्तु अब 2021 शारदीय नवरात्र शुरू होते ही लोगों की मुसीबतें फिर से बढ़ गई हैं। शहर में बसों की एंट्री रोकने से पहले सरकार व स्थानीय प्रशासन को पिंजौर बाईपास (खाकिशाह) से टी.टी.आर. परवाणू बाईपास तक हर आधे घंटे के अंतराल में लोकल मिनी बसें चलानी चाहिए थी ताकि शहर से बाहर जाने व आने वाले लोगों, औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों को, खासकर महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों व सामान लेकर जाने वालों को परेशानियों का सामना ना करना पड़ता। स्थानीय प्रशासन के ऐसे रवैये से जनमानस में रोष व्याप्त है व सभी प्रशासन को कोस रहे हैं। स्थानीय व्यापार मण्डल भी ऐसे मामलों पर मूकदर्षक बने रहते हैं, जबकि उनके व्यापार को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। प्रेम लता ने सुझाव देते हुए कहा है कि जाम की स्थिति से बचने के लिए प्रशासन को चाहिए कि भारी वाहनों (ट्रकों, ट्रॉलों आदि) की एंट्री बन्द करे, सड़कों पर बेतरतीब खड़े वाहनों को अनाज मंडी व अन्य जगहों पर खड़ा करवाएं। सड़कों पर सामान न लगने दें, बाहरी अनजान लोगों को शहर में सड़कों पर जगह-जगह सामान ना लगाने दें, ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि आम जनता को परेशानियों से बचाया जा सके।
Comments