साहून खांन नूंह देश मे बिजेपी शाशित राज्य विकास की राजनीति के बजाए नामकरण की राजनीति करने पर विश्वास दिखा रही है। जब की सरकारों का काम अपने देश व राज्यों को विकसित करने का होता है।और जनता का
मत होता है कि उन की सरकारें हर संभव उन के लिए फायदा पहुंचाए ओर जनता के हित में कल्याणकारी कामों के लिए प्रयासरत रहे। गौर तलब है कि देश की राजधानी से सटे हरियाणा के फरीदाबाद शहर में स्तिथ सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान अस्पताल का नाम राज्य की बिजेपी खट्टर सरकार ने बीके की जगह अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की कार्रवाई अंजाम दे रही है। मामले की गंभीरता को लेकर हरियाणा के जिला नूंह के सियासी समाजी सगंठन के लोगों ने बिजेपी के इस नामकरण कदम के खिलाफ अपनी खुल कर नाराजगी जाहिर करते हुए विरोध जताया है। और सरकार से अपनी मांग रखते हुए मुतालबा किया है कि बिजेपी की खट्टर सरकार इस मामले में तूरंत पुनर्विचार कर अपना फैसला तूरंत वापिस ले और पुर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किसी नई संस्था की तामीर कर उस का नाम बदल कर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम कर दे।इस मामले में जिला मुख्यालय नूंह में कई सगंठन के लोगों ने एक बैठक नूंह विधायक आफताब अहमद के साथ की। और सरकार से बीके नामकरण मामले को वापिस लेने की मांग रखी। और सभी सगंठन प्रतिनिधियों की जानिब से एक सामूहिक बयान जारी किया। इस मौके पर कांग्रेस से नूंह विधायक व विपक्ष नेता आफताब अहमद ने कहा कि फरीदाबाद स्तिथ हरियाणा सरकार द्वारा बादशाह खान अस्पताल का नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेई करने का फैसला गलत है और निंदनीय है।खान अब्दुल गफ्फार खान ( उर्फ बादशाह खान) ना सिर्फ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि गांधीवादी विचारधारा से इतना प्रभावित थे कि उन का नाम सीमांत गांधी पड़ गया था ।देश की आजादी के खातिर उन के द्वारा किए गए संघर्ष को सदा याद किया जाएगा वही उन के स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाने वाली कुर्बानियों को कभी फरामौश नही किया जा सकता अंग्रेजों के खिलाफ उनका खुदाई खिदमतगार आंदोलन ऐतिहासिक था। यह भी हकिकत है कि बादशाह खान ने भारत के बंटवारे का खूब विरोध किया था, वो हिन्दू मुस्लिम भाईचारे के बड़े प्रतीक थे, अंग्रेजों ने उनपर खूब अत्याचार किए लेकिन बादशाह खान के मजबूत इरादों को अग्रेंज कभी कमजोर नहीं कर पाए,ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर कोई अस्पताल हो और कोई सरकार उसे बदले,यह जहां अफसोस नाक बात है।वहीं इस से बुरी कोई बात नहीं हो सकती। राजस्थान मेव महा सभा के अध्यक्ष अरशद खान। आल इंडिया मेवात विकास पंचायत के महा सचिव कासिम मेवाती। जमियत उलेमा फरिदाबाद व मेवात के महासचिव साबिर कासमी ने कहा कि खान साहब की जिंदगी हर भारतीय के लिए धरोहर है। अरशद खान ने कहा कि खान साहब महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा के सिद्धांतों का एक ऐसा पुजारी था जिसका नाम तो बादशाह खान था लेकिन वेशभूषा फकीराना वह अलीगढ़ विश्वविद्यालय से पढ़े, पख़्तून जमींदार के बेटे, और भाई लंदन से डॉ बन कर पख़्तून के मुख्यमंत्री थे। आफताब ने कहा कि मेरी और मेवात के सभी संगठनों की तरफ से हरियाणा के मुख्यमंत्री से विनम्र अपील है कि बादशाह खान ( सीमांत गांधी ) के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक योगदान को देखते हुए उनके नाम पर बने बादशाह अस्पताल के नाम को बदलने की ऐतिहसिक चूक ना करें। और नामकरण की राजनीति से बाज रहे। अगर ऐसा हुआ तो इस के भविष्य में दुष्परिणाम होगें जो ठीक नही होगा।
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