नई दिल्ली, चीन की बढ़ती चुनौती को देखते हुए क्वाड शिखर वार्ता भारतीय हितों के लिहाज से बेहद सफल और सकारात्मक रही। यह शिखर सम्मेलन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। शिखर वार्ता में अमेरिकी राष
्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात भारत के लिए आर्थिक और रक्षा संबंधों के लिहाज से बेहद उपयोगी साबित हुई। क्वाड के नेताओं ने चीन के खिलाफ अपने संसाधनों को एकजुट करके एक-दूसरे की मदद करने पर सकारात्मक माहौल में चर्चा की। खास बात यह है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जो बात इशारों में कही वह क्वाड शिखर वार्ता में खुलकर रखी। आइए जानते हैं कि इस शिखर वार्ता में क्या रहा खास। इसे लेकर क्यों तिलमिलाया चीन। किन मामलों में ऐतिहासिक रही शिखर वार्ता। 1- पाक प्रायोजित आतंकवाद: पाकिस्तान के साथ कटघरे में चीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर वार्ता में आतंकवाद एक प्रमुख विषय बनाया। क्वाड के सदस्य देशों की बैठक में पीएम मोदी ने अपनी चिंता को जोर से उठाया। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार के पतन के बाद काबुल एक बार फिर आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बन सकता है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन में पाक और चीन की दिलचस्पी भारत के लिए खतरनाक है। खासकर शांत कश्मीर घाटी में एक बार फिर आतंकवाद सिर उठा सकता है। अफगानिस्तान में हिंदू और सिखों के साथ महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के हितों और उनकी सुरक्षा की आवाज उठाई। 2- सैन्य अभ्यास: चीन को कराएंगे ताकत का एहसास क्वाड के सदस्य देश जल्द ही मालाबार अभ्यास के जरिए एकजुट होने की तैयारी में हैं। क्वाड शिखर वार्ता में इस बात पर आम सहमति बनी है। इस सैन्य अभ्यास में भारत, जापान, अमेरिका के अलावा अब आस्ट्रेलिया भी हिस्सा लेगा। यह सैन्य अभ्यास इस साल जापान के समीप प्रशांत महासागर में होगा। यह चीन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस सैन्य अभ्यास का मकसद सीधे तौर पर सामरिक रूप से चीन को घेरना है। सैन्य अभ्यास के जरिए क्वाड के सदस्य देश अपनी सामरिक क्षमता का प्रदर्शन करेंगे और हिंद प्रशांत क्षेत्र में मिल रही चुनौती की रणनीति तैयारी करेंगे। 3- नौसेना की तैयारी: सामरिक रणनीति से चिंतित हुआ चीन क्वाड शिखर वार्ता में चीन का नाम लिए बगैर उसे चौतरफा घेरने की रणनीति बनने पर विमर्श हुआ। क्वाड में शामिल चार देशों- अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया ने अपनी नौसेना का विस्तार करने पर राजी हुए। आस्ट्रेलिया को अमेरिका द्वारा दी जा रही परमाणु पनडुब्बी को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरना है। इस बैठक में हिंद और प्रशांत क्षेत्र में समान विचार वाले देशों जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया आदि के साथ लाने पर भी विचार किया गया। अमेरिका ने ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक महागठबंधन आकस बनाया है। इस सैन्य गठबंधन का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देना है। बता दें कि चीन की नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। 4- कोरोना वैक्सीन: चीनी बाजार को कड़ी टक्कर चीन निर्मित वैक्सीन को एक नई चुनौती मिलेगी। क्वाड शिखर वार्ता में भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनी जानसन एंड जानसन की कोरोना वैक्सीन की एक अरब डोज बनाने पर सहमति बनी है। क्वाड देशों ने सेमी कंडक्टर की सुरक्षित सप्लाई के लिए मिलकर काम करने का फैसला लिया है। इससे चीन को कड़ी चुनौती मिल सकती है। खासकर तब जब चीन अपने दोयम दर्जे की वैक्सीन से दुनिया के प्रभावित करने में जुटा हुआ है। ऐसे में यह फैसला दुनिया के कई देशों के समक्ष भारत चीन का बेहतर विकल्प बन सकता है। अमेरिका की यह रणनीति है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र के 33 देशों को सबसे पहले वैक्सीन निर्यात होगा। इसका मकसद हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित करना है। आखिर क्या है क्वाड क्वाड संगठन की अवधारणा को औपचारिक रूप से साल 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा पेश की थी। हालांकि, चीन के दबाव के कारण आस्ट्रेलिया इसके गठन की प्रक्रिया से पीछे हट गया। इसके चलते संगठन के गठन का विचार टल गया। आबे इस घटना से निराश नहीं हुए। उन्होंने साल 2012 में हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल करते हुए एक डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड स्थापित करने का विचार पेश किया था। आखिरकार नवंबर 2017 में क्वाड समूह की स्थापना हुई। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी बाहरी शक्ति के प्रभाव से मुक्त रखने हेतु नई रणनीति बनाना है। क्वाड के सभी चार देश- जापान, भारत, आस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं।
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