तावडू, 19 सितंबर (दिनेश कुमार): शहर में गणेश चतुर्थी पर मंदिरों व घरों में श्रद्धालुओं द्वारा गणेश जी की स्थापना की गई थी। जिसको लेकर कहीं 1 दिन तो कहीं 5 दिन तो कहीं 7 दिनों बाद गणेश जी का विसर्जन कर
दिया गया। लेकिन विभिन्न मंदिरों में स्थापित किए गए गणेश जी का रविवार को विधिवत विसर्जन किया गया। इससे पूर्व शहर से गणेश जी की शोभा यात्राएं निकाली गई। शहर की पुरानी अनाज मंडी में स्थित श्री राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी राकेश शास्त्री ने बताया कि भगवान गणेशजी हमारी भौतिक कामनाओं को भूलोक से देवलोक तक पहुंचाने का काम करते हैं। इस दौरान विभिन्न प्रकार की पूजा-अर्चना, अराधना, पाठ करते हुए आहवान किया गया। मान्यता है कि सारी सृष्टि की उत्पत्ति जल से ही हुई है और जल बुद्धि का प्रतीक है तथा भगवान गणेश बुद्धि के अधिपति हैं। जबकि भगवान गणेश जी की प्रतिमाएं नदियों की मिट्टी से बनती हैं। अत: अनंत चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमाओं को जल में इसलिए विसर्जन कर देते हैं, क्योंकि वे जल के किनारे मिट्टी से बने हैं और जल ही भगवान गणपति का निवास स्थान है। रविवार को राधा-कृष्ण मंदिर व नीलम विहार स्थित शिव मंदिर से भगवान गणेश की अनंत चुतर्दशी के दिन शौभा यात्रा निकाल विसर्जन के लिए ले जाई गई। राधा-कृष्ण मंदिर से बावला चौक, पुराना बस स्टैंड, राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय चौक, वैष्णों माता मंदिर, विजय चौक, पटौदी चौक व सोहना रोड होते हुए विसर्जन के लिए रवाना हुए।
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