नई दिल्ली, । गर्दन के निचले हिस्से के बीच में तितली की आकार में थायराइड ग्रंथि रहती है। हालांकि, यह एक छोटा अंग है, लेकिन यह शरीर की कार्यविधि में अहम भूमिका निभाती है। थायराइड ग्रंथि से तीन प्र
कार के हार्मोन का उत्सर्जन होता है, जो शरीर के विकास, कोशिका की मरम्मत और चयापचय यानी मेटाबॉलिज़्म को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। हार्मोन के उत्सर्जन में किसी प्रकार के असंतुलन से थकान, असमय बालों का गिरना, ठंड लगना आदि चीजों की समस्या होती है। ये सभी लक्षण थायराइड के होते हैं। कुछ मामलों में थायराइड से आंखों में भी समस्या होती है। इस स्थिति में इम्यून सिस्टम से आंखों की मांसपेशियों और ऊतकों प्रभावित होती हैं। इससे आंखों में सूजन, आंखें उभरी और चौड़ी दिखने लगती है। इन स्थिति को थायराइड नेत्र रोग (TED) या ऑर्बिटोपैथी कहा जाता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं- -आंखों के सफेद भाग में लाली -आंखों में जलन -दर्द और दबाव -सूखी आंखें -आंखों में पानी आना -दोहरी दृष्टि -सूजन -आंखों का उभर आना थायराइड नेत्र के कारण थायराइड के मरीजों में थायराइड नेत्र रोग की समस्या आम बात है। यह एक प्रकार का संक्रमण होता है, जो ग्रेव्स डिजीज के मरीजों में देखा जाता है। ग्रेव्स डिजीज से पीड़ित व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी कई ऐसे एंटीबॉडी का उत्पादन करने लगती है, जो टीएसएच को बढ़ाती है। वहीं, थायराइड नेत्र की बीमारी तब होती है, जब इम्युनिटी शरीर के ऊतकों और मांसपेशियों पर आक्रमण करने लगती है। हालांकि, इम्यून सिस्टम का मुख्य कार्य आंखों को कीटाणुओं और प्रदूषण से सुरक्षित रखना है। थायराइड नेत्र रोग होने के कारणों का सही से पता नहीं चल पाया है। इस विषय को लेकर कई शोध किए जा रहे हैं। थायराइड नेत्र रोग से बचाव अगर आप थायराइड नेत्र रोग की समस्या से परेशान हैं, तो नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाकर आंखों की जांच करवाएं। डॉक्टर आंखों की जांच कर उचित दवा लेने की सलाह देंगे। वहीं, आंखों में गंभीर समस्या होने पर आई ड्राप दे सकते हैं। कई मामलों में कृत्रिम आंखें भी लगाई जाती हैं। हालांकि, इसकी संख्या बहुत कम होती है। सामान्यतः धूल और तेज प्रकाश से बचाव के लिए सावधानियां जरूर बरतें।
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