तावडू, 18 सितंबर (दिनेश कुमार): हरियाणा सरकार तावडू में आवारा पशुओं, बंदरों व कुत्तों पर लगाम लगाने में विफल रही है। पिछले कई वर्षों से आम नागरिकों द्वारा आवारा पशुओं को शहर से हटाने की मांग कई बा
र की जा चुकी है। लेकिन नगरपालिका प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। जिससे शहरवासियों में पालिका प्रशासन के खिलाफ रोष पनप रहा है। शहरवासियों का कहना है कि समय रहते पालिका प्रशासन नहीं जागा तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का रूख अपनाना पडेगा, जिसका जिम्मेवार स्वयं प्रशासन रहेगा। शहरवासी राजकुमार, दिनेश कुमार, प्रमोद कुमार, नरेश कुमार, खान मौहम्मद, आबिद हुसैन, रेखा रानी, मानसी, हरिश चन्द, ताराचंद, अनिल कुमार, सुरेश आदि ने बताया कि पिछले कई वर्षों से शहर में आवारा पशुओं व बंदरों तथा कुत्तों को हटाने की मांग की जा रही है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते स्थिति जस की तस बनी हुई है और बंदरों व कुत्तों का आतंक बढता ही जा रहा है। वहीं ये आवारा पशु सडक़ों के बीच में बैठे व खड़े रहते है, जो मार्ग को अवरूद्ध कर देते है। कभी-कभी ये आवारा पशु आपस में लड़ पड़ते हैं तथा राहगीरों व वाहन चालकों को चोटिल कर देते हंै। ये आवारा पशु पार्कों में घुस कर उसकी सुंदरता को भी नष्ट करने पर उतारू हो जाते है, मगर इन आवारा पशुओं की और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। शहर के वार्ड नंबर 13 में 7 वर्षीय बच्चे आकाश के पीछे आवारा कुत्ते लग गए। जिससे आकाश बुरी तरह चोटिल हो गया। वहीं शहरवासियों का कहना था कि बंदरों का आतंक भी कम नहीं है। यह बंदर मासाहारी बन चुके हैं, जो आए दिन किसी न किसी व्यक्ति को अपने आतंक का शिकार बना लेते हैं। जिससे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। लेकिन इतना सब कुछ घटित होने के बाद व कई वर्षों से मांग करने बावजूद पालिका प्रशासन खराट्टे मार कर सो रहा है। शहरवासियों ने जिला प्रशासन सहित हरियाणा सरकार के नुमाईंदों से इस ओर ध्यान देकर समस्या के समाधान की मांग फिर से की है।
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