अच्छे रहे 75, स्वर्णिम होंगे अगले 5 साल : आईटी इंडस्ट्री का लक्ष्य, अबकी बार 300 अरब डॉलर के पार

Khoji NCR
2021-09-02 07:43:06

नई दिल्ली, । आज दुनिया के बाजार में भारतीय 'हीरे' की बहुत डिमांड है। ये हीरे पत्थर के नहीं, प्रतिभा वाले हैं। यानी जब बात टैलेंट का आती है, दुनिया भर की कंपनियां भारत की ओर देखती हैं। भारत की यह छव

बनाने में बहुत बड़ा योगदान भारत के आईटी सेक्टर का है। इसी सेक्टर ने भारत को सांप-सपेरे से सॉफ्टवेयर वाला देश बना दिया। आंकड़े गवाह हैं और इतिहास साक्षी है कि भारत ने बीते कुछ दशकों में आईटी के क्षेत्र में सफलता के ऐसे कोड लिखे हैं जिसने उसे दुनिया का सिरमौर बना दिया है। दुनिया भर की बड़ी कंपनियों में भारतीय उच्च पदों पर काबिज हैं। शायद ही कोई ऐसी बड़ी आईटी कंपनी होगी जो भारतीय मेधा की प्रतिभा का लोहा न मानती हो। तो आइये जानते हैं कि 1970 के दशक के ठीक पहले जन्मे इस सेक्टर ने कैसे भारत की कामयाबी का एक नया इतिहास लिखा और जानेंगे कि अगले पांच साल में इस इंडस्ट्री में क्या बड़े बदलाव होने वाले हैं। नैस्कॉम के वाइस प्रेसिडेंट और हेड ऑफ पब्लिक पालिसी आशीष अग्रवाल बताते हैं कि भारत में आईटी इंडस्ट्री सेक्टर का जन्म 1970 के दशक में हुआ है। 45 साल बाद 100 बिलियन की इंडस्ट्री बन गई। 2013-14 में इंडस्ट्री ने इंडस्ट्री ने इस स्तर को स्पर्श किया। पर अगला 100 बिलियन डॉलर जुड़ने में सिर्फ 7 साल लगे। यानी आज 200 बिलियन डॉलर हो चुका है। आशीष अग्रवाल के मुताबिक आईटी सेक्टर में भारत से 150 बिलियन डॉलर का निर्यात हो रहा है और 45 अरब डॉलर का घरेलू बाजार है। सर्विस सेक्टर के कुल निर्यात में 52 फीसद का योगदान आईटी सेक्टर है। वहीं आईटी सेक्टर का आकार भारत के जीडीपी का 7 फीसद है। आशीष बताते हैं कि 100 देशों में भारतीय आईटी सेक्टर के उपभोक्ता हैं। करीब-करीब सभी एमएनसी का डेवलपमेंट सेंटर भारत में हैं। भारत में 45 लाख लोगों को रोजगार मिला है। एनआईसीएसआई के मैनेजिंग डायरेक्टर पीके मित्तल कहते हैं कि पिछले 75 साल के सफर को देखें तो आजादी के वक्त देश की जीडीपी 3.6 बिलियन डॉलर थी। आज भारत की जीडीपी 100 गुना बढ़ी है। आईटी सेक्टर को देखें तो कई पहलुओं में इसका विकास हुआ है। इसने देश की जीडीपी को बढ़ाया है। इसने भारतीयों के काम करने और जीने का तरीका बदला है। हमें ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ नहीं जाना पड़ता है। वहीं आईटी सेक्टर ने ही देश में डिजिटल ऑफिस बनाए हैं। एनआईसी ने कई ईगवर्नेस सिस्टम का भी विकास किया है। एनआईसी ने मनरेगा और किसान योजना का पैसा सीधे अकाउंट में भेजने में मदद की है। इससे लोगों का भरोसा सरकार में बढ़ा है। वहीं लोग गांव से ही अपने फार्म आदि भर पा रहे हैं। इससे लोगों की ऊर्जा सही दिशा में लग रही है। आने वाले सालों में हम गांव के लोगों को बेहतर योजनाएं दे सकेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान कर पाएंगे। स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा आईआईटी रोपड़ और ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रोफेसर डॉ अभिनव ढल कहते हैं कि भारत की आईटी इंडस्ट्री देश की अर्थव्यवस्था रीढ़ है। अब यह इंडस्ट्री पूरे देश में फैल चुकी है। 1970 में यह इंडस्ट्री आगे बढ़ी। अब इस सेक्टर में कई इनोवेटिव काम हो रहे हैं। और नई तकनीकों को अपनाने में सबसे आगे रही। जैसे ब्लॉकचेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। इंडस्ट्री हमारी बड़ी आबादी की समस्याओं को सुलझाने में मदद कर रही है। इंडस्ट्री सरकार के साथ मिलकर आधार, यूपीआई और कोविन जैसे प्रोग्राम चला रही है। स्टार्टअप कल्चर भी तेजी से बढ़ रहा है और सरकार भी स्टार्टअप इंडिया के जरिए इनकी मदद कर रही है। यूनिकार्न भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। आईटी इंडस्ट्री भविष्य में भी लोकल और ग्लोबल समस्याओं का समाधान करेगी। जैसे सस्टेनेबल डेवलेपमेंट। अगला लक्ष्य सेमीकंडक्टर चिप बनाना वहीं आईआईटी बाम्बे के प्रोफेसर राजेश झेले कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति विदेश में भारत के बारे में बात करता है तो उसके दिमाग में सॉफ़्टवेयर, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग आती है। पर आखिर हम यहां तक पहुंचे कैसे? दरअसल आज के आईटी सेक्टर की तरक्की में हमारी पीढ़ी को पालने वाले माता-पिता का बड़ा योगदान है। क्योंकि उनका एक ही ध्येय होता है कि हमारा बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने और उसकी अंग्रेजी अच्छी हो। इसी ने भारत में बड़ी संख्या में इंजीनियर और प्रोफेशनल को तैयार किया है। इसी के दम पर मौका मिलते ही हम आईटी सेक्टर में छा गए। भारतीयों के गणित और विज्ञान के अच्छे नॉलेज ने हमें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में आगे बढ़ाया। राजेश झेले के मुताबिक हमने हमेशा कम साधन में अपनी प्रतिभा के दाम पर कामयाबी हासिल की है। आधार की कामयाबी भी इसकी एक मिसाल है। क्योंकि 140 करोड़ की आबादी में आज करीब-करीब सभी के पास आधार है। वहीं आज पूरे देश में इंटरनेट कनेक्शन और स्मार्टफोन है। यूपीआई से पैसा भेजना काफी आसान हो गया है। सभी फॉर्च्यून 500 कंपनी का ऑफिस भारत में है और हर कोई भारत से जुड़ना चाहता है। मोबाइल से लेकर अच्छी क्वालिटी की कार तक भारत में बन रही हैं। उनका मानना है की भारत में अगली बड़ी क्रांति सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में होगी। सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड चीप सिलिकॉन से बनाई जाती है जिसे की रेत (मिट्टी) से प्राप्त किया जाता है। अगर हम चिप बनाने में आगे बढ़े और चिप डिजाइन से लेकर चीप फेब्रिकेशन की क्षमता भारत के पास आ जाती है, तो यह एक बड़े सपने के पूरा होने जैसा होगा। उन्हें विश्वास है की आने वाले कुछ सालों में हम हमारी अपनी मिट्टी से बनी हुई सेमीकंडक्टर चीप इस्तेमाल कर रहे होंगे। आशीष अग्रवाल बताते हैं कि 4-5 साल में आईटी सेक्टर में 100 बिलियन डॉलर का इजाफा होने की उम्मीद है, यानी यह 300 बिलियन डॉलर की इंडस्ट्री बन जाएगी। आशीष के मुताबिक अभी इंडस्ट्री का ध्यान अपना आकार 350 बिलियन डॉलर को पार करने पर है। अगर हम पूरा प्रयास करें तो जल्द ही हम 500 बिलियन डॉलर को भी पार कर जाएंगे। आईटी भारत के कृषि सेक्टर में और फाइनेंस सेक्टर में फिनटेक और ई गवर्नेंस के जरिए योगदान दे रहा है। भारत के लिए स्मार्ट सिटी बना रहा है। वहीं वैश्विक स्तर पर भी भारत की आईटी सेक्टर का विस्तार होगा। हम वर्क के हाइब्रिड मॉडल के जरिए आईटी सेक्टर आसानी से टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में फैल सकता है। यानी आईटी मेट्रो शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी विस्तार होगा। वहीं तेजी से बढ़ते आईटी स्टार्टअप और इनोवेशन से अगले पांच से सात साल में यह सेक्टर नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। 2. सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री होगी 100 बिलियन डॉलर की सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री में हम काफी काम कर सकते हैं। यह अभी सिर्फ 9 बिलियन डॉलर की है। यहां विस्तार की काफी संभावना है। भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री 2025 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हो सकती है। भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पर लगातार फोकस कर रही हैं और ग्लोबल डिलीवरी सेंटर बढ़ा रही हैं। फरवरी, 2021 में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने यूके में अगले साल में 1500 टेक्नोलॉजी कर्मचारियों को नियुक्त करने की बात कही है। 3. डाटा एनोटेशन बाजार और लेबलिंग हब वित्तीय वर्ष 2020 में भारत का डाटा एनोटेशन मार्केट 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की घरेलू मार्केट में बढ़ती मांग के कारण इस बाजार के 2030 तक 7 बिलियन डॉलर का होने की उम्मीद है। 4. नई तकनीक से आएंगे नए अवसर - इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल मीडिया और डाटा एनालिटिक्स आईटी कंपनियों को ग्रोथ के नए अवसर प्रदान कर रही है ।वहीं मई 2021 में, एचसीएल टेक्नोलॉजीज (एचसीएल) ने एक नया ग्रीनफील्ड बनाने के लिए हिताची एबीबी पावर ग्रिड के साथ एक बहु-वर्षीय अनुबंध की घोषणा की है। इस जुड़ाव के माध्यम से, एचसीएल हिताची एबीबी पावर ग्रिड की मदद करेगा। इससे एक नया, कुशल और आधुनिक स्वतंत्र आईटी संगठन स्थापित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मई, 2021 में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने वियावी सॉल्यूशन के साथ करार किया है। यह करार नेटवर्क टेस्ट, मेजरमेंट और एश्योरेंस सॉल्यूशंस को लेकर है।

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