हथीन/माथुर : समीपवर्ती गांव इंडरी में एक यज्ञ अनुष्ठान किया गया। जिसमें यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य जगदेव शास्त्री रहे और यजमान रोबिन रहे। मंत्र पाठ आचार्य राजेश ने किया। इस मौके पर आचार्य जगदेव
े कहा वेद भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। वेद को पढऩे से अंधविश्वास धार्मिक पाखंड सभी भ्रांतियां दूर हो जाती हैं। वेद मनुष्य को जीवन जीना सिखाता है। देवताओं को यज्ञ के द्वारा उन्नत करें और फिर देवता हमें मनवांछित फल देगे। यजेत् स्वर्गं कामा: यज्ञ से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और मनोकामना को पूर्ण करता है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार जो प्रतिदिन यज्ञ प्रमाणिक ग्रंथों का पाठ करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यज्ञ में आहुतियां देते आचार्य राजेश ने कहा कि ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, अतिथि यज्ञ, वलिवैश्वदेव यज्ञ, पितृ यज्ञ इन पञ्च महायज्ञ को नित्य करने से मनुष्य सभी ऋणों से उऋण हो जाता हैं। उन्होंने कहा कि यदि गृहस्थी प्रतिदिन नहीं कर सकता तो अमावस्या और पूर्णिमा को पंच महायज्ञ को करने से व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। प्रत्येक गृहस्थी जाने अनजाने में पांच प्रकार से ही हिंसा करता है-चूल्हे से रोटी -सब्जी बनाने में, सिलबट्टा से चटनी बनाने में, झाड़ू लगाने से, ओखली में धान कूटने से जीवों कि हत्या हो जाती हैं। उनसे उऋण होने के लिए हमें पंच महायज्ञ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मनुष्य को ईश्वर से मंत्रों आहुति में पांच चीजें मांगी आयु, सुखी संतान, पशु, अन्न, ईश्वर की आराधना की। आचार्य राजेश ने विश्व शांति की कामना सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दु:ख भाग भवेत् मंत्र से कामना की। इस मौके पर गांव के सरपंच कमल, गुलशन, राजीव बंसल, जगदीश, जीतू, दीपक, नरेश, मनोज आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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