नई दिल्ली, । देश और दुनिया में अभी कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से खतरा बना हुआ है। इस बीच C.1.2 वेरिएंट की दस्तक से दहशत का माहौल है। हालांकि, भारत में C.1.2 वेरिएंट का फिलहाल कोई केस सामने नहीं आया है। सर
कारी सूत्रों ने बुधवार को कहा कि भारत में अब तक नए COVID-19 वेरिएंट C.1.2 का कोई मामला सामने नहीं आया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दक्षिण अफ्रीका समेत कई अन्य देशों में कोराना का एक नया वैरिएंट पाया गया है जो बेहद संक्रामक हो सकता है। इस वैरिएंट से होने वाले जोखिम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह कोविड-19 रोधी वैक्सीन से मिलने वाली एंटीबॉडी सुरक्षा तक को चकमा दे सकता है। दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फार कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाजुलु-नेटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म (केआरआईएसपी) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि SARS-CoV-2c का नया संस्करण अधिक संक्रामक हो सकता है और वर्तमान सीओवीआईडी-19 वैक्सीन द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा को मात दे सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना के इस नए वैरिएंट सी.1.2 (SARS-CoV-2 Variant C.1.2 ) का पता मई महीने में चला था। तब से लेकर बीते 13 अगस्त तक कोरोना का यह वैरिएंट चीन, कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में पाया जा चुका है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान सामने आए कोरोना वायरस के वैरिएंट सी.1 की तुलना में सी.1.2 अधिक बदलाव हुआ है। यही कारण है कि इसको वैरिएंट आफ इंटेरेस्ट की श्रेणी में रखा गया। दक्षिण अफ्रीका में C.1.2 जीनोम मई में अनुक्रमित जीनोम के 0.2 फीसद से बढ़कर जून में 1.6 फीसद और फिर जुलाई में 2 फीसद हो गए हैं। अध्ययन के लेखकों ने कहा, 'यह शुरुआत में पहचान के दौरान देश में बीटा और डेल्टा वेरिएंट के साथ देखी गई वृद्धि के समान है।' बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन आगाह कर चुका है कि आने वाले वक्त में कोरोना के और वैरिएंट सामने आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने बीते दिनों चेतावनी देते हुए कहा था कि भविष्य में कोरोना के अधिक खतरनाक वेरिएंट दुनिया भर में फैल सकते हैं। डब्ल्यूएचओ आगाह कर चुका है कि दुनिया से यह महामारी जल्द खत्म नहीं होने वाली है।
Comments