पंचायत की सम्पति को पहचान करते हुए प्रोपर्टी को पंजीकृत कर स्वामित्व पोर्टल पर करे अपलोड :- शक्ति सिंह

Khoji NCR
2021-08-31 10:26:31

स्वामित्व योजना के तहत अब हुए कार्यो की डीसी ने की समीक्षा नूंह 31 अगस्त : उपायुक्त कैप्टन शक्ति सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि जिला के सभी गांव की लाल डोरे के अंदर की पंचायत की सम्पति क

ो पहचान करते हुए उनकी प्रोपर्टी को पंजीकृत कर स्वामित्व पोर्टल पर अपलोड करना सुनिश्चत करें। इस काम में लापरवाही करने वाले अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। कैप्टन शक्ति सिंह आज लघु सचिवालय में स्वामत्वि योजना की समीक्षा बैठक ले रहें थे। उन्होंने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन गांव के फाईनल मैप प्राप्त हो चुके है, उनमें टाईटल डीड तैयार करवाकर स्वामित्व पोर्टल पर अपलोड करवाते हुए डीड पर संबंधित के हस्ताक्षर करवाकर तहसीलदार को भिजवाना सुनिश्चत करें। उन्होंने कहा कि जिला के सभी खंडों में कुल 37 प्रथम नक्शें पेंडिग है जिन्हें एट्रीब्यूट कलेक्शन उपरांत सर्वे आफ इंडिया भिजवाया जाना है, इसके लिए इस सप्ताह में 15 नक्शों के एट्रीब्यूट भिजवाने का लक्ष्य रखा गया है। उपायुक्त ने कहा कि सभी खंडों में आज तक 182 गांवों में दावे, आपत्तियां प्राप्त करने का समय पूरा हो चुका है तथा इस सप्ताह में इन सभी गांवों में प्राप्त दावे आपत्तियां दूर करने उपरांत फाईनल मैप के लिए इन सभी नक्शें को सर्वे ऑफ इंडिया को भेजते हुए पोर्टल पर अपलोड करवाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने सभी राजस्व विभाग के अधिकारियों को कहा कि संबधित बीडीपीओं द्वारा तैयार करवाने के बाद भेजी हुई टाईटल डीड का पंजीकरण करवाने उपरांत उन्हें पोर्टल पर तत्काल अपलोड करवाना सुनिश्चत करें। उन्होंने सभी संबधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि शुक्रवार तक पूरा करना सुनिश्चत करें। उन्होंने बताया कि लाल-डोरा मुक्त होने से गांव की संपत्ति को विशेष पहचान मिलेगी तथा अचल संपत्ति पर बैंक द्वारा लोन भी मंजूर किया जा सकेगा और ग्रामीणो को अपनी संपत्ति बेचने और खरीदने का मालिकाना हक भी मिला है इससे स्वामित्व से संबंधित मामले भी नियंत्रित हुए हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि हरियाणा में लाल डोरा हर गाँव में ऐसी भूमि है, जिसका उपयोग आमतौर पर बिना किसी राजस्व रिकॉर्ड के आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। लाल डोरा शब्द का प्रयोग पहली बार 1908 में एक गाँव की बस्ती (आबादी) भूमि को परिभाषित करने के लिए किया गया था और इसका उपयोग केवल गैर कृषि उद्देश्यों के लिए किया गया था। लाल डोरा को कृषि भूमि से अलग करने के लिए राजस्व विभाग ग्राम विस्तार भूमि के चारों ओर लाल डोरा निश्चित करता था। उपायुक्त ने कहा कि लाल डोरा को भवन उपनियमों/निर्माण कानूनों/अनुसूचित क्षेत्रों आदि से छूट दी गई थी, जिसके कारण इन संपत्तियों का विकास हुआ। पहले लाल डोरा में मकान या जमीन के लिए कोई रजिस्ट्री नहीं होती थी और इससे परिवारों और समाजों में टकराव होता था। संपत्ति होने के बावजूद, संपत्ति के स्वामित्व का कोई कागज नहीं था और ग्रामीणों द्वारा उपयोग की जाने वाली और पंचायत के स्वामित्व वाली भूमि का कोई सही सीमांकन नहीं था। जिसके चलते गांवों में सार्वजनिक स्थानों, खेल के मैदानों, तालाबों, नालियों आदि पर अतिक्रमण कर लिया गया था। स्वमित्व योजना के तहत 22 गांवों में 3641 संपत्तियों का पंजीकरण करवाने उपरांत संपित मालिकों को संपत्ति दस्तावेज वितरित किए जा चुके है। गांवों में विशेष अभियान चलाकर और शिविर लगाकर पंजीकरण प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस मौके पर अतिरिक्त उपायुक्त सुभिता ढाका, एसडीएम नूंह सलोनी शर्मा, अंडर ट्रैनिंग आईएएस हर्षित कुमार, सीईओ जिला परिषद गजेन्द्र सिंह, एसडीएम पुन्हाना मनीषा शर्मा, एसडीएम तावडू़ डा. नरेश, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राकेश मोर, तहसीलदार राकेश छौकर, नायब तहसीलदार अख्तर हुसैन सहित सभी बीडीपीओ व नायब तहसीदार भी मौजूद रहें।

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