पुष्पेंद्र शर्मा फिरोजपुर झिरका। मेवात क्षेत्र जो शुद्ध दुग्ध से बने उत्पादों के लिए जाना जाता था । आज चंद मुनाफा खोर लोगों की बदौलत वही मेवात नकली दूध व दूध से बना हुआ पनीर और देशी घी बनाने
ें अव्वल नजर आ रहा है । मेवात में कम तो दिल्ली-एनसीआर सहित गुरुग्राम में इन उत्पादों की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है । जबकि यह उत्पाद स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है और इनके लगातार सेवन से दर्जनों जानलेवा बीमारिया मनुष्य के शरीर में घर कर रही है ।अगर सूत्रों का माने तो जिले के दर्जनभर से अधिक गांव में नकली दूध और नकली पनीर बनाने का कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। यह नहीं कि इस नकली दूध भी पनीर की फैक्ट्रियां जहां गांव में लगी हुई हैं। उनके बारे में प्रशासन को जानकारी ना हो लेकिन सबके बावजूद भी अधिकारियों की चुप्पी और प्रशासन की ढील के चलते अवैध कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रही है । हम इस नकली दूध को बनाने की प्रक्रिया की बात करे तो इसके लिए पहले रिफाइंड , ग्लूकोज , व अन्य सामग्री का इस्तेमाल करते थे , परन्तु इससे निर्मित दूध लेब टेस्ट में कमी दिखाता और नकली दूध को पकड़ा जाता । परन्तु इसके बाद मेवात में नयी प्रक्रिया सामने आई जिसमे एक ऐसे केमिकल का इस्तेमाल दूध बनाने में किया जा रहा है जिसके माधयम से एक लीटर की मात्रा से करीब 10 से 12 लीटर दूध बनाकर तैयार किया जाता है । दूध निर्माताओ का दावा होता है की यह दूध लैब टेस्ट में भी नहीं पकड़ा जा सकता और इसी के बूते मिठाई के शौक़ीन मेवात के लोगो में नकली दूध से बनी मिठाई दिल्ली-एनसीआर सहित गुरुग्राम व अन्य इलाकों में बेरोकटोक बिक रही है। जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही घातक है और आने वाले समय के बड़े दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम सामने आ सकते है । सूत्रानुसार बड़े पैमाने पर यह धंधा मेवात के गुर्जर नगला , रनियाला, महू चोपड़ा , शेखपुर, मंडीखेड़ा, अटेरना ,उमरा में फल फूल रहा है । लोगों की मानें तो यहां निर्मित पनीर दूध खवा को दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य हरियाणा के जिलों में सप्लाई किया जा रहा है। जिसमे यहाँ तक जानकारी मिली है की जो लोग नकली दूध बनाने वाली सामग्री बेचते है। वो लाखों रुपयों का व्यापार प्रतिदिन कर प्रशासन की नाक के नीचे कालाबाजारी कर रहे है। समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गयी तो हमारा आने वाला काल मुसीबतों से भरा हो सकता है । प्रशासन को सारी जानकारी होने के बावजूद भी कोई बड़ी कार्रवाई इन मिलावटखोरों पर नहीं की जा रही है जिसके चलते खुलेआम पनीर परचून की दुकान पर बिक्री हुई देखी जा सकती है। समय-समय पर इलाके में सैंपलिंग की जा रही है। लगभग तीन चार महीने के दौरान 50 से अधिक लोगों पर केस बनाए हैं । इसके अलावा हर तीन चार महीनों में गांव में लगने वाली फैक्ट्रियों में सेंपलिंग की जाती है । दिवाली से पहले भी लगातार सैंपल लेने का सिलसिला जारी रहेगा। पनीर बेचने वाले लोगों से अपील है कि उच्च क्वालिटी का पनीर बेचे, क्वालिटी में गिरावट आने पर सैंपल होने पर, कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। डॉ. दीपक चौधरी ,खाद्य सुरक्षा अधिकारी, जिला नूह।
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