पीएम मोदी की सोमनाथ मंदिर को सौगात, कई परियोजनाओं का किया शिलान्‍यास, कहा- दुनिया अभी भी आतंकी सोच से पीड़ित

Khoji NCR
2021-08-20 10:35:18

अहमदाबाद, । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात के सोमनाथ मंदिर परिसर में माता पार्वती मंदिर के शिलान्यास, सोमनाथ समुद्र दर्शन तथा संग्रहालय के शिलान्यास व लोकार्पण समारोह को आ

नलाइन संबोधित करते हुए कहा कि आतंक का अस्तित्व अधिक समय तक नहीं रह सकता, कुछ समय तक ताकत के बल पर सत्ता हथिया सकता है, लेकिन उसका टिके रहना मुश्किल होता है। प्रधानमंत्री ने नाम लिए बिना अफगानिस्तान में बंदूक की नोंक पर सत्ता हथियाने वाले तालिबान की ओर की स्पष्ट इशारा किया। मोदी ने कहा आतंक से आस्था को नहीं कुचला जा सकता। सोमनाथ मंदिर इसका जीता-जागता उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सोमनाथ मंदिर समारोह के समारोह में दिल्ली से आनलाइन जुड़ रहा हूं, लेकिन मन से वहीं पर महसूस करता हूं। सरदार पटेल ने आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार अपने दृढ़संकल्प से किया मैं उनको नमन करता हूं। समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जहां वर्चुअल शामिल हुए। वहीं, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल तथा गुजरात के पर्यटन मंत्री जवाहर चावड़ा सोमनाथ में मौजूद रहे। श्रद्धालुओं को जूना सोमनाथ मंदिर दर्शन का भी होगा लाभ प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन से जब आधुनिकता जुड़ती है तो कैसे परिवर्तन आते हैं, यह गुजरात में देखा है। कच्छ से लेकर द्वारका सोमनाथ तीर्थस्थलों का विकास आसपास के क्षेत्रों में भी बदलाव लाया। देश व दुनिया के श्रद्धालु व पर्यटक यहां आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को जूना सोमनाथ मंदिर के भी दर्शन के लाभ होंगे। पार्वती माता का मंदिर निर्माण एक अभूतपूर्व घटना है। समुद्र के किनारे खड़े हमारे मंदिर पर्यटन व आस्था के बड़े केंद्र हैं, जिससे वहां के आसपास के इलाकों का भी विकास होता है। भगवान शिव की भूमि सोमनाथ सोमनाथ सदियों से भगवान शिव की भूमि रही है। शास्त्रों में कहा गया है, जो सिद्धि व कल्याण को प्राप्त करें, वही शिव है। संहार में भी सृजन को जन्म देने वाले भगवान सोमनाथ हैं, शिव अनादि योगी हैं। भगवान शिव का मंदिर हमें प्राचीनता और हमारे अस्तित्व का बोध कराता है। दुनिया का कोई भी व्यक्ति जब इस स्थापत्य की अद्भुत कला को देखता है तो उसे केवल एक मंदिर नजर नहीं आता, बल्कि हजारों सालों की सभ्यता और संस्कृति नजर आती है, जो सबको प्रेरणा देती है। हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रभास याने प्रकाश, ज्ञान का क्षेत्र के रूप में विकसित किया। आस्था को आतंक से नहीं कुचला जा सकता। इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया नष्ट किया गया। प्रतिमाओं को खंडित किया गया। अस्तित्व को मिटाने का हर संभव प्रयास किया गया। जितने भी बार इसे गिराया गया, यह उतनी ही बार खड़ा हुआ। भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक विश्वास सोमनाथ मंदिर आज भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक विश्वास है। एक आश्वासन भी है। जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बूते शक्ति का प्रदर्शन करती है। कुछ समय के लिए भी हावी हो सकती हैं, लेकिन उनका अस्तित्व कभी स्थाई नहीं हो सकता। वह ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती हैं। यह बात जितनी तब सही थी, जब कुछ आतताई सोमनाथ को गिरा रहे थे, उतनी ही सार्थक आज भी है। सोमनाथ मंदिर के भव्य विकास व निर्माण की यात्रा कुछ सालों का नहीं, बल्कि सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा वैचारिक भावना का प्रमाण है। राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल कन्हैयालाल मुंशी के संकल्प का परिणाम है। आज राम मंदिर के रूप में भारत के गौरव का प्रतिबिंब खड़ा हुआ है। इतिहास से सीखकर, वर्तमान को सुधारने की एक नया भविष्य बनाने की कहानी है। यह केवल भौगोलिक एवं वैचारिक निर्माण नहीं है। यह हमारे अतीत से जोड़ने का प्रकल्प है। हमने अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण किया है। अतीत के संस्करणों को संजोया है। डा राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था सदियों पहले भारत सोना-चांदी का भंडार हुआ करता था दुनिया के सोने का बड़ा हिस्सा भारत के मंदिरों में विद्यमान था। सोमनाथ मंदिर को कब तोड़ा गया, जब एक भव्य मंदिर के साथ समृद्ध भवन में भी तैयार खड़ा था। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इसका निर्माण कुल 30 करोड़ रुपये के परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है। इस खास अवसर पर गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति सोमनाथ मंदिर में मौजूद हैं। माता पार्वती का यह मंदिर श्‍वेत पत्‍थरों से बनाया जाएगा तथा इसकी ऊंचाई 71 फीट होगी। सोमनाथ मंदिर ट्रस्‍ट के ट्रस्‍टी पी के लहरी ने बताया कि सोमनाथ मंदिर के ठीक सामने पार्वती माता के मंदिर का निर्माण होगा। सफेद पत्‍थरों से बनने वाले इस मंदिर की ऊंचाई 71 फीट की होगी तथा अपने आप में ऐसा पहला मंदिर होगा। जानें क्‍या होगी मंदिर की विशेषता मंदिर 66 स्‍तंभों पर बनेगा तथा इसका क्षेत्रफल 18891 फीट होगा जिसमें गर्भगृह सभा मंडप, माताजी की सभा जैसे खंड होंगे। सोमनाथ मंदिर की तरह ही इस मंदिर के दक्षिण भाग से समुद्र का दर्शन होगा। ट्रस्‍टी जे डी परमार ने बताया कि भगवान शिव के मंदिर के पास शिव पंचायत की परंपरा है इसी को ध्‍यान में रखते हुए यहां पर पार्वती मंदिर के निर्माण का संकल्‍प लिया गया था। शिव पंचायत में भगवान गणपति, गंगाजी, हनुमान जी की प्रतिमाएं भी होती हैं।

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