खोजी/सुभाष कोहली कालका। हर वर्ष रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से श्रावण मास की समाप्ति और भाद्र पद मास की शुरुआत होती है। इस वर्ष रक्
ा बंधन का त्योहार 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जाएगा। यह कहना है पिंजौर के ज्योतिषाचार्य शास्त्री सीता राम शुक्ला "राजपुरोहित" का। शुक्ला का कहना है कि उस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है और अपने सुरक्षा का वचन लेती है। "रक्षा बंधन की शुरुआत" यह परम्परा आदि काल से चली आ रही है। शास्त्रों में वर्णन है कि जब राजा बलि इंद्रासन प्राप्त करने के लिए 99 यज्ञ करने के बाद 100 वां यज्ञ कर रहा था तब इंद्र ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी। तब भगवान विष्णु ने बावन अवतार लेकर छल से राजा बलि से धरती आकाश लेने के बाद तीसरा पैर राजा बलि की पीठ पर रखा और उसे अपना दास बना लिया था। फिर आशीर्वाद के रूप में राजा बलि ने विष्णु को हमेशा अपने साथ पाताल लोक में रहने का वचन ले लिया। इससे लक्ष्मी जी घबरा गईं तब नारद जी ने राजा बलि को राखी बांधने और उपहार में श्री विष्णु को मांगने को कहा था। तबसे भगवान विष्णु 4 माह देवशयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक पाताल लोक में और 8 माह विष्णु लोक में निवास करते हैं। इसके उपरांत एक बार देवता दानवों में भीषण युद्ध हुआ और देवता दानवों के युद्ध में इंद्र को अपना लोक गवान पड़ा था। जिस के बाद गुरु बृहस्पति की पत्नी से भी उस ही दिन इंद्र देव ने रक्षा सूत्र बंधवाया था और विजय प्राप्त की थी। कहा जाता है जब श्री कृष्ण ने भरी सभा में दुष्ट शिशु पाल का अपने चक्र सुदर्शन से वध किया था, तब कृष्ण की उंगली से खून निकलने लगा तो द्रौपदी ने अपने पल्लू को फाड़कर उनकी उंगली में भी उस दिन ही साड़ी का टुकड़ा बांधा था। तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया था और चीर हरण में उनकी रक्षा की थी। तबसे यह परम्परा चली आ रही है, बहनें अपने भाइयों की कलाई में तथा गुरु अपने शिष्यों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधते हैं। ज्ञानी मनुष्य अपने वाहनों में, भवन के मुख्य द्वार में, व्यापारी तराजू में रक्षा सूत्र बांधते हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है "रक्षा बंधन" चाहे रक्षा तन की हो, मन की हो, धन की हो, परिवार की हो या देश की हो अथवा अपने चरित्र की हो इनकी रक्षा प्रयत्न पूर्वक करनी चाहिए। शुक्ला का कहना है कि "राखी बांधने का मुहूर्त" अंतरराष्ट्रीय अद्भुत ज्योतिष कार्यालय की गणित के अनुसार प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से प्रात:10 बजकर 35 मिनट तक शोभन योग रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र शाम को करीब 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. 22 अगस्त 2021 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट दोपहर से शाम 04 बजे तक, राखी बांधना सबसे शुभ रहेगा। "रक्षा बंधन में यह न करें" रक्षा बंधन राहु काल में अर्थात शाम 4:30 से शाम 6:00 तक के बीच में न करें। इस दिन बहन को कांटे वाली नुकीली प्लास्टिक की या लोहे की कोई भी वस्तु जूता चप्पल या काले नीले रंग की मिठाई आदि उपहार स्वरूप भेट में नही देनी चाहिए और न ही नुकीली या प्लास्टिक की राखी बंधवानी चाहिए। क्योंकि इन सब में राहु का निवास होता है जो की आपके स्वास्थ्य कारोबार को प्रभावित कर सकता है। "रक्षा सूत्र बांधने की विधि", इस दिन बहनें अपने भाई को लकड़ी की चौकी या शुद्ध आसन पर बैठाकर पहले रोली चंदन, हल्दी चावल का तिलक करती हैं और भाई की आरती उतारती हैं। फिर दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर मिठाई खिलाती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार स्वरूप वस्त्र आभूषण फल मीठा और कुछ मुद्राएं देकर बहन के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेता है। यह त्योहार भाई बहनों के प्रेम, आपसी सद्भाव, एक दूसरे से निरंतर जुड़े रहने एवम एक दूसरे की मदद करते रहने के लिए अति उत्तम त्योहार है जो कि समाज को आपसी भाई चारे रिश्ते को मजबूत करता है।
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