बाथरूम की साफ-सफाई को ज्यादातर लोग ये सोचकर इग्नोर कर देते हैं कि कौन सा वहां बेडरूम और लीविंग रूम जितना वक्त बिताना होता है और यही चूक कई सारी बीमारियों को दावत देने का काम करती है। बाथरूम के न
ल से टपकता पानी और नमी कीटाणुओं के पनपने के एकदम अनुकूल होता है। जो बड़ों ही नहीं बच्चों को भी बीमार बना सकता है। तो इससे बचाव के लिए क्या करें, जानें यहां... - बाथरूम के फर्श को साफ रखने के साथ ही उसे सूखा रखना भी जरूरी है। नहाने या कपडे धोने के बाद वाइपर से पानी निकाल दें। साफ-सफाई के लिए डिस्इंफेक्ट का यूज जरूर करें। - हफ्ते में एक या दो दिन टॉयलेट, दीवार और कोने-कोने को भी साफ करें। - नहाने से लेकर हाथ धोने यहां तक कि कपड़ों के लिए भी टिकिया सोप की जगह लिक्विड सोप का इस्तेमाल करें क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का तो खतरा कम रहता ही है साथ ही टिकिया सोप गलने की वजह से गंदगी होती रहती है। - नहाने के बाद धोए गए कपड़ों और तौलिए को बाथरूम में न रखें इन्हें धूप में सुखाएं क्योंकि नमी कपड़ों में भी कीटाणुओं को पनपने की जगह देता है। - लूफा को इस्तेमाल के बाद उसे अच्छी तरह पानी से धो लें जिससे उसका सारा सोप निकल जाए फिर इसे भी खुली जगह में सूखने के लिए रख दें जिससे संक्रमण बढ़ने का ख़तरा नहीं रहता। - ब्रश होल्डर, क्लोथ होल्डर्स, नॉब्स, नल के ऊपर जमी गंदगी को भी वक्त-वक्त पर साफ़ करते रहें। ये भले ही आपको हमेशा गंदे नजर न आएं लेकिन इन पर भी जर्म्स और बैक्टीरिया रहते हैं। - बाथरूम के अंदर झाडू, कपड़े धोने वाले बैट को भी जब आवश्यकता हो तभी अंदर लेकर आएं। काम के बाद इन्हें भी धूप में रख देना ही बेहतर होता है।
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