काबुल, । अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ऐलान के साथ ही अफगानिस्तान में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। तालिबान ने देश पर एक बार फिर अपनी हुकूमत कायम करने के लिए हिंसा का सहारा लिया। तालिबानी विद्रोह
ी राजधानी काबुल से महज 50 किलोमिटर की दूरी तक आ गए हैं। देश की 34 में से 14 प्रांतों पर तालिबान का कब्जा है। अफगानिस्तान में 20 वर्षो की तैनाती के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 11 सितंबर तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी का एलान किया था। तालिबान की भीषण आक्रामकता के मद्देनजर अमेरिका ने अपने सैनिकों की वापसी के कार्यक्रम को थोड़ा तेज किया है। माना जा रहा है कि अगस्त के अंत तक कुछ सौ सैनिकों को छोड़कर बाकी के अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान की धरती से चले जाएंगे। सहयोगी देशों के सैनिक भी पूरी तरह से चले जाएंगे। काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए तुर्की के सैनिक रह सकते हैं। उस पर अभी नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में विचार चल रहा है। -14 अप्रैल : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने 11 सितंबर तक अमेरिकी सैनिकों वापसी का एलान किया - 04 मई : तालिबान लड़ाकों ने हेलमंद प्रांत में सरकारी सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़ा हमला बोला। छह अन्य प्रांतों में भी हमले - 11 मई : काबुल के नजदीक नर्ख जिले पर तालिबान ने कब्जा किया। सरकारी बलों के खिलाफ उनकी लड़ाई पूरे देश में फैली - 02 जुलाई : अमेरिकी सैनिकों गुपचुप तरीके से अपना प्रमुख ठिकाना बगराम एयरबेस खाली किया। इससे तालिबान का हौसला बढ़ा - 21 जुलाई : तालिबान ने लड़ते हुए करीब आधे देश पर कब्जा किया। अमेरिकी जनरल ने की पुष्टि - 06 अगस्त : तालिबान ने जरांग पर कब्जा किया। पहली प्रांतीय राजधानी जिस पर तालिबान का कब्जा हुआ - 12-13 अगस्त : चार प्रांतों की राजधानियों पर तालिबान ने कब्जा किया
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