नई दिल्ली, । Teej Rituals, Customs and Traditions: श्रावण शुक्ल की तृतीया तिथि को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने
ति की लंबी उम्र के लिए सुबह से ही निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। हरियाली तीज के पर्व के बारे में मान्यता है कि भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे। मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। हरियाली तीज की मान्यता जैसी की मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन माता पार्वती ने काफी कठिन तपस्या को पूरा कर भगवान शंकर को पति के रूप में पाया था। हरियाली तीज को माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रंगार कर हाथों में हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं। मेहंदी की प्रथा भारत में शायद ही ऐसा कोई त्योहार या सेलीब्रेशन हो, जो बिना महंदी के पूरा हो जाए। ऐसे ही हरियाली तीज के दिन भी महिलाओं में मेहंदी लगाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेहंदी लगाई थी। जिसके बाद मां पार्वती के हाथों में लगी मेहंदी को देखकर भगवान शिव काफी ख़ुश हुए थे और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था। हरियाली तीज के दिन क्या होता है हरियाली तीज का पर्व 11 अगस्त को बुधवार के दिन मनाया जा रहा है। इसके लिए महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं। जिसके बाद स्वच्छ और साफ कपड़े पहने जाते हैं। कई जगहों पर इस दिन मायके से आए हुआ लाल जोड़ा पहनने की परंपरा है। इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार का भी ख़ास महत्व होता है।
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