चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश पिटाई मामले में कोर्ट से बरी किए गए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया

Khoji NCR
2021-08-11 07:38:04

नई दिल्ली । दिल्ली सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ बदसलूकी और मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को 3 साल बाद सबसे बड़ी राहत मिली है।दिल्ली की राउज

एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट मामले में अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल को छोड़कर सभी को बरी कर दिया है। इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों के नाम शामिल थे। बतायाज रहा हैकि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की कोर्ट द्वारा मुख्य सचिव की पिटाई के मामले आरोप मुक्त होने पर राहत की सांस ली है। बताया जा रहा है कि उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस मामले में कुछ देर बाद डिजिटल पत्रकार वार्ता करेंगे। फरवरी, 2018 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायकों पर मुख्यमंत्री आवास में मारपीट का आरोप लगाया था। प्रकाश जारवाल और अमानतुल्लाह खान की बढ़ेगी मुसीबत मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट करने के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 9 अन्य विधायकों को भी बरी कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में AAP के दो विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की थी। इस चार्जशीट में सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 13 विधायकों को आरोपी बनाया गया था। बताया गया था कि मारपीट मामले में पुलिस ने सबूतों के आधार पर मजबूत चार्जशीट तैयार की थी, जो अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए गले की फांस बन सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह है पूरा मामला बता दें 19 फरवरी 2018 की आधी रात 12 बजे केजरीवाल के सिविल लाइंस स्थित आवास पर मुख्य सचिव के साथ हुई बदसुलूकी व मारपीट की घटना के बाद 21 फरवरी की सुबह सिविल लाइंस थाना पुलिस ने वीके जैन से पूछताछ की थी। पहले तो उन्होंने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अगले दिन 22 फरवरी को मजिस्ट्रेट के सामने बंद कमरे में उनका धारा-164 के तहत बयान दर्ज करवा दिया था, ताकि वह सबकुछ सच बता सकें। मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में उन्होंने घटना की पूरी घटना उजागर कर दी थी। तभी पुलिस ने उन्हें केस का मुख्य चश्मदीद गवाह बना लिया था।

Comments


Upcoming News