अमृतसर/लुधियाना, जासं। भारतीय महिला हाॅकी टीम ने तीन बार चैंपियन रही आस्ट्रेलिया की टीम को टोक्यो ओलिंपिक में 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में कदम रखते हुए इतिहास रचा है। भारतीय टीम की जीत म
ं पंजाब के किसान की बेटी गुरजीत काैर का अहम राेल रहा। जीत के बाद पारिवारिक सदस्यों के साथ-साथ गांववासियों में जश्न का माहाैल। भारतीय टीम की जीत का श्रेय भी अमृतसर के गांव मियादी कलां में जन्मी गुरजीत कौर को ही जाता है। गुरजीत कौर के परिवार का हाॅकी से कुछ लेना देना नहीं था जबकि उनके पिता सतनाम सिंह के लिए तो बेटी की पढ़ाई ही सबसे पहले थी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भारतीय महिला हाॅकी टीम की जीत पर बधाई दी है। गुरजीत व उनकी बहन प्रदीप कौर ने शुरुआती शिक्षा गांव के पास के निजी स्कूल से ली। इसके बाद वह तरनतारन के कैरों गांव में डे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के लिए चली गईं, जहां उनका हाॅकी की तरफ लगाव शुरू हो गया था। वह लड़कियों को हाॅकी खेलते देख प्रभावित हुईं और उन्होंने भी इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया। दोनों बहनों ने जल्द ही खेल में महारत हासिल की और छात्रवृत्ति पाकर उन्हें मुफ्त स्कूली शिक्षा के साथ-साथ डे बोर्डिंग भी मिल गई। जालंधर के लायलपुर खालसा कालेज से की थी ग्रेजुएशन गुरजीत कौर ने जालंधर के लायलपुर खालसा काॅलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया और साल-2014 में उन्हें भारतीय हाॅकी कैंप में बुलाया गया था। टीम को फाइनल में पहुंचाने वाली अजनाला की गुरजीत कौर को इससे पहले भी क्वार्टर-फाइनल में कजाकिस्तान के खिलाफ 3 गोल करके वूमेन आफ द मैच के खिताब के लिए चयनित किया गया था। तीन भाइयों के साथ-साथ एक बहन गुरजीत कौर ने खालसा कालेज फार वूमेन में पढ़ते हुए यहीं से ही हाॅकी के खेल की बारीकियां हासिल की। जबकि बड़ी बहन प्रदीप कौर भी पंजाब खेल विभाग में बतौर एक हाॅकी कोच काम कर रही हैं। मध्यवर्गीय परिवार से संबंधित गुरजीत के पिता सतनाम सिंह एक किसान हैं। बता दें कि हाॅकी खेलने के बाद गुरजीत ने रेलवे इलाहाबाद में नौकरी ज्वाइन करके अपनी डयूटी के साथ-साथ अपना अभ्यास जारी रखा है, जिसके तहत आज वह ओलिंपिक में नाम चमकाने में सफल हुई हैं।
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