पानी की एक-एक बूंद बचाना समय की जरुरत:-

Khoji NCR
2021-07-29 11:19:06

जल सरंक्षण के लिए चलाया जल शक्ति अभियान: नूंह, 29 जुलाई ( ) पानी को लेकर पूरी दुनिया में बढऩे वाली मुश्किलों के चलते बेहतर है कि बारिश की एक-एक बूँद को बचाया जाए और हर नागरिक को अपनी इस जिम्मेदारी

ा अहसास कराया जाए। सदियों से हमारे पूर्वज इस दिशा में काम करते रहे हैं। हाल-फिलहाल में भी इस दिशा में तेजी से काम हुआ है। मात्र पिछले दो महीनों में जलशक्ति अभियान के तहत जल-संरक्षण हेत बुनियादी ढाँचे बनाए गए हैं। उपायुक्त शक्ति ङ्क्षसह ने लोगों से जल-संरक्षण के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि जल-संरक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले पारम्परिक तौर-तरीकों को साझा करने की जरूरत है। उन्होंने पानी की एक-एक बूँद को बचाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले वक्त में पानी को लेकर पूरी दुनिया में बढऩे वाली मुश्किलों के चलते बेहतर है कि बारिश की एक-एक बूँद को बचाना हर किसी की जिम्मेदारी हो। सदियों से हमारे पूर्वज इस दिशा में काम करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने जल-संसाधन और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालयों को मिलाकर एक एकीकृत मंत्रालय का गठन किया है, जिसे ‘जलशक्ति मंत्रालय’ नाम दिया गया इस अभियान का मकसद जल-संरक्षण के फायदों को लेकर लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना है ताकि देश के हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने में सहभागिता और जागरुकता का लाभ मिल सके। उपायुक्त शक्ति सिंह ने बताया कि पानी हमारे पृथ्वी ग्रह पर एक अमूल्य धरोहर है, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ''जल है तो कल है'' तथा ''जल जो न होता तो जग खत्म हो जाता'' आदि उक्तियों के माध्यम से हम जल की महत्ता को स्वीकारते हैं। वैसे तो भूमि का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है, जिसमें से 96.5 प्रतिशत पानी की मात्रा समुद्रों के अन्दर समाहित है जोकि नमकीन होने के कारण पीने एवं फसलों और औद्योगिक प्रयोग के लायक नहीं है केवल शेष 3.5 प्रतिशत पानी ही इस खुबसूरत ग्रह पृथ्वी पर गलेशियर व झरनों के रूप में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि भू-जल, जिसे भूमिगत या भौमजल भी कहा जाता है। वर्तमान में उसका अत्याधिक दोहन चिन्ता का विषय बना हुआ है। पानी के अत्याधिक प्रयोग के कारण भू-जल स्तर के तेजी से गिरने एवं डार्क ज़ोन के ब्लॉक्स में भी तेजी से बढ़ौतरी होना भविष्य में उत्पन्न होने वाले गहरे जल संकट की ओर संकेत है। भू-जल के दोहन की र$फ्तार पर यदि लगाम नहीं लगाई गई तो खेती तो दूर पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा। अब जिला नूंह भी अन्य जिलों की भांति सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में तत्परता से कार्य कर रहा है प्रदेश सरकार की जल शक्ति अभियान नामक एक महत्वकांक्षी योजना है जिसे फलीभूत करने के लिए जिला में विभिन्न योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है। जल शक्ति अभियान जैसे अभियान चलाकर राज्य सरकार नागरिकों को पानी बचाने के महत्व की गंभीरता के बारे में जागरूक करने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही जल संरक्षण के महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। हरियाणा जल शक्ति अभियान के अंतर्गत लोगों को यह भी बताया जा रहा कि वर्षा जल संरक्षण से गिरते भूजल स्तर को कैसे बचाया जाये। तथा गिरे हुए भू-जल को अपने मूल स्तर पर वापस कैसे लाया जा सकता है। हरियाणा जल शक्ति अभियान का मुख्य प्रयास यह है कि हम जल का दुरुपयोग करना बंद कर दें और जागरूक होकर भविष्य के लिए अपने आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ जल उपलब्ध करा सके। उपायुक्त ने बताया कि हर नागरिक को पीने का साफ पानी मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता है। इसीलिए जल-संरक्षण को मिशन के तौर पर लागू किया गया है, ताकि वर्षाजल संरक्षण, जल-संरक्षण और जल प्रबंधन को बढ़ावा मिल सके। जिला उपायुक्त बताते हैं कि जिला में लगभग सात लाख से अधिक पौधे रोपित किए जाएंगे जोकि जिला के वातावरण को शुद्ध करेंगे। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक पेड़ लगाने से हमें सांस लेने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त हो सकेगी। उपायुक्त ने कहा कि जिला में पौधशाला नाम से ऐप शुरू किया गया है इस ऐप में जिला की सभी नर्सरियों के बारे में बताया गया है और नर्सरियों में विभिन्न किस्म के पौधों के बारे में भी बताया गया है कोई भी व्यक्ति इस ऐप द्वारा किसी भी किस्म का पौधा लेने के लिए बुकिंग करवा सकता है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में अंतिम कक्षा से पास आउट होने वाले सभी विद्यार्थी अपने स्कूल में पेड़ लगाकर उस पेड़ को उपहार स्वरूप अपने जूनियर विद्यार्थियों को देकर जाएंगे और इस पोधागिरी योजना अनुसार सभी स्कूलों में फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे । उन्होंने जिला वासियों से यह आवाहन भी किया कि वे सभी अपने अपने घरों में मनाए जाने वाले त्योहारों पर जरूर पेड़ लगाएं जिसे घर का वातावरण शुद्ध हो सके।

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