नई दिल्ली,। लंदन के लाइफ स्टाइल व वेलनेस कोच गार्थ डेलिकन लोगों को तनाव, बेचैनी आदि मानसिक व्याधियों से लड़ना सिखाते हैं। उनका मानना है कि एक्सरसाइज का मतलब जिम जाना या वजनदार चीजें उठाना ही न
हीं होता। आप जिस चीज को आनंदपूर्वक कर सकते हैं, वह आपको स्वस्थ रख सकता है। यह महज सीढ़ी चढ़ना-उतरना, दूर तक पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैराकी करना हो सकता है, जिससे आपके हृदय एवं धमनियों में रक्त का पर्याप्त संचार होता रहे। जब हम शारीरिक क्रिया करते हैं, तो हृदय की गति तेज हो जाती है। मांसपेशियों में चुस्ती आ जाती है। इससे दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आप अवसाद से बचे रहते हैं। इतना ही नहीं, यह उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक के खतरे को भी कम करता है। अमेरिकी डायबिटीज एसोसिएशन के एक अध्ययन के अनुसार, नियमित व्यायाम करने वाले मधुमेह जैसी बीमारी तक का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। वहीं, जो लोग स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करते हैं, वे अपनी बेचैनी पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के लिए जिम जाने की जरूरत नहीं होती। घर पर किताबों, दूध या पानी से भरे कैन की मदद से वजन आदि उठाने का प्रयास कर सकते हैं। इसी प्रकार, जब सामूहिक व्यायाम करते हैं, तो उससे दूसरों से बेहतर तरीके से जुड़ पाते हैं। उन पर विश्वास कर पाते हैं। कोरोना काल में अभी भी जब बाहर जाना सीमित है, वैसे में आनलाइन भी समूह में व्यायाम करना फायदेमंद रहेगा। सोनाली एक फिटनेस फ्रीक हैं। व्यायाम के लिए समय निकाल ही लेती हैं। कुछ न किया, तो इमारत की सीढ़ियां ही चढ़-उतर लेती हैं। तभी तो 55 वर्ष की आयु में भी न सिर्फ उनका चेहरा दमकता है, बल्कि उनका खुशमिजाज स्वभाव आसपास के लोगों को खुश रहने के लिए प्रेरित करता है। दरअसल, व्यायाम से दिमाग में ऐसे रसायन (एंडोìफस) उत्पन्न होते हैं, जो हमें खुश रखने में सहायक होते हैं। हम नकारात्मक वातावरण में भी अपना मानसिक संतुलन नहीं खोते हैं। वयस्कों के अलावा बच्चे व किशोर भी अपनी दिनचर्या में शारीरिक व्यायाम को शामिल कर अपनी एकाग्र शक्ति को बढ़ा सकते हैं। अनिद्रा की शिकायत को दूर कर सकते हैं। इससे उनका खुद पर भरोसा बढ़ेगा। जब परिवार के सभी सदस्य व्यायाम के प्रति गंभीर होंगे, तो न सिर्फ उनके सोच में परिवर्तन आएगा, बल्कि आसपास के माहौल पर भी सकारात्मक असर होगा। व्यायाम करने के फायदे- व्यायाम से तन एवं मन दोनों रहते हैं सेहतमंद। हड्डियों से लेकर मांसपेशियां तक होती हैं मजबूत। नींद न आने की शिकायत होती है दूर। डिमेंशिया एवं अल्जाइमर का खतरा होता है कम। (लेखक- जैस्मीन कश्यप, फिटनेस एक्सपर्ट)
Comments