नई दिल्ली, । भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के सह-अध्यक्ष और भारत के बड़े वैज्ञानिक डॉ एनके अरोड़ा ने खुलासा किया है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट, अल्फा वैरिएंट की तुलना में लगभग 40 स
े 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है यानि ये तेजी से आबादी के बीच फैलता है। डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि बी.1.617.2, जिसे COVID-19 के एक प्रकार को डेल्टा वैरिएं के रूप में जाना जाता है। यह पहली बार भारत में अक्टूबर 2020 में पहचाना गया था और देश में दूसरी लहर के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार था। देश में अब आ रहे नए कोरोना मामलों में इसका करीब 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह अपने पूर्ववर्ती (अल्फा वैरिएंट) की तुलना में लगभग 40-60 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है। यह पहले से ही ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर सहित 80 से अधिक देशों में फैल चुका है। INSACOG के सह-अध्यक्ष ने यह भी कहा कि डेल्टा वैरिएंट महाराष्ट्र में उभरा और मध्य और पूर्वी राज्यों में प्रवेश करने से पहले देश के पश्चिमी राज्यों के साथ उत्तर की ओर चला गया। डेल्टा वैरिएंट से जुड़े म्यूटेशन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसके स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन होता है जो इसे कोशिकाओं की सतह पर मौजूद ACE2 रिसेप्टर्स को अधिक मजबूती से बांधने में मदद करता है, जिससे यह अधिक पारगम्य और शरीर की प्रतिरक्षा से बचने में सक्षम हो जाता है। डेल्टा वैरिएंट की गंभीरता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा कि यह शरीर में तेजी से बढ़ता है और फेफड़ों जैसे अंगों में अधिक सूजन पैदा करता है। INSACOG के सह-अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, भारत में उपलब्ध वर्तमान टीके COVID-19 डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं। डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता पर एक सवाल के जवाब में, डॉ अरोड़ा ने कहा, "हां, मौजूदा टीके इस मुद्दे पर आईसीएमआर द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं। भविष्य की लहर के बारे में बात करते हुए, डॉ अरोड़ा ने कहा कि दूसरी लहर अभी भी चल रही है और भविष्य की किसी भी लहर को नियंत्रित और विलंबित किया जा सकता है अगर अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाया जाता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग प्रभावी ढंग से COVID-उपयुक्त व्यवहार का पालन करते हैं।
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